नौसेना की सेवा से हटाए जा चुके विमानवाहक युद्धपोत INS विराट को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. ऐसा एक कंपनी की याचिका पर किया गया है. यह कंपनी INS विराट को खरीद कर उसे संरक्षित करना चाहती है ताकि आने वाले समय में लोग उसे देख सकें.


50 के दशक में ब्रिटिश नौसेना में HMS हर्मस के नाम से शामिल हुए इस जहाज को बाद में भारत सरकार ने खरीद लिया. उसे 1987 में भारतीय नौसेना को दिया गया. नाम रखा गया INS विराट. करीब 3 दशक की सेवा के बाद जहाज को हटाने का फैसला किया गया. भवनगर की श्रीराम ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज ने इसे खरीद लिया. 28 सितंबर 2020 को इसे गुजरात के अलंग पोर्ट में लाया गया, जहां इसे कबाड़ के रूप में तोड़ा जाना है.


संग्रहालय में बदलना चाहती है कंपनी
एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह बताया कि उसने रक्षा मंत्रालय से इस जहाज को खरीदने की अनुमति मांगी थी. उसका उद्देश्य इसे एक संग्रहालय में बदलने का है. इससे आम लोग और आने वाली पीढियां इसे देख सकेंगी. लेकिन सरकार ने पुराने जहाज को तोड़ने को नीतिगत मसला बताते हुए इससे मना कर दिया.


एनविटेक ने बाद में श्रीराम ग्रुप से भी इसे 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर खरीदना चाहा. लेकिन सरकार ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) देने से मना कर दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी के वकील को सुनने के बाद मामले में नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा है कि फिलहाल INS विराट को नहीं तोड़ा जाएगा.


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