नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने और राज्य के लिये कानून बनाने के संसद के अधिकार को सीमित करने वाले अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई के अनुरोध पर विचार किया जायेगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने वकील और बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय के अनुरोध का संज्ञान लिया कि उनकी याचिका अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व की है और इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने की आावश्यकता है.
पीठ ने उपाध्याय से कहा, ''अपना उल्लेख संबंधी मेमो रजिस्ट्रार को दे दीजिये. हम इस पर गौर करेंगे.'' उपाध्याय ने अपनी याचिका में दलील दी है कि संविधान तैयार करते समय यह विशेष प्रावधान अस्थाई स्वरूप का था और 26 जनवरी, 1957 को जम्मू-कश्मीर संविद सभा के भंग होने के साथ ही अनुच्छेद 370(3) समाप्त हो गया है.
पिछले साल सितंबर में दायर की गयी इस याचिका में शीर्ष अदालत से जम्मू कश्मीर के लिये अलग संविधान को विभिन्न आधारों पर मनमाना और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि यह एक राष्ट्र-एक विधान, एक राष्ट्रगान और एक ध्वज के सिद्धांत के खिलाफ है.
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 का अधिकतम कार्यकाल संविद सभा के अस्तित्व में रहने तक अर्थात 26 जनवरी, 1950 तक था, जब संविधान को अपनाया गया.
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