नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई करेगी. आज चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मामले को संविधान पीठ में भेज दिया. बेंच ने कहा है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में 5 जजों की बेंच मामले को सुनेगी. फिलहाल कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को बेअसर करने वाले संविधान संशोधन और राज्य के पुनर्गठन के कानून पर रोक नहीं लगाई है.
सामान्य अदालती प्रक्रिया है- एक्सपर्ट
कानून के जानकार कोर्ट के आज के आदेश को सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं. उनका कहना है कि जब किसी संविधान संशोधन को चुनौती दी जाती है तो उसकी सुनवाई संविधान पीठ में होती है. कोर्ट इस बात को जरूरी मानता है कि संशोधन का विरोध कर रहे हैं पक्ष को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले. साथ ही, सरकार को भी मौका दिया जाता है कि वह अपने कदम को सही ठहरा सके. ऐसे में सुनवाई लंबी चलती है. अक्टूबर में इसकी शुरुआत होगी.
फिलहाल राज्य पुनर्गठन पर रोक नहीं
जानकारों के मुताबिक अगर किसी पक्ष को सरकार के फैसले पर रोक का अंतरिम आदेश चाहिए, तो वह इसकी मांग संविधान पीठ में कर सकता है. आमतौर पर कोर्ट या तो ऐसी रोक लगाने से सीधे मना कर देता है, या सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद ही कोई आदेश देता है. फिलहाल राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेश- लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांटने पर कोई रोक नहीं है. सरकार इससे जुड़ी प्रक्रिया को जारी रख सकती है.
येचुरी को कश्मीर जाने को कहा
कश्मीर में अपनी पार्टी के नेता यूसुफ तारिगामी के बारे में कोई खोज खबर न होने की बात कह रहे CPM महासचिव सीताराम येचुरी को कोर्ट ने वहां जाकर उनसे मिलने को कहा. येचुरी के वकील से चीफ जस्टिस ने पूछा, "आप कह रहे हैं कि आपके दोस्त बीमार हैं और आप उनका हाल-चाल जानना चाहते हैं?" वकील ने कहा, "जी हां. लेकिन मुझे श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया."
कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा, "इनका मकसद राजनीति है. किसी का हाल चाल लेना नहीं. फिलहाल सुरक्षा कारणों से तारिगामी को अलग जगह पर रखा गया है. उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी हो रही है. वह बिल्कुल अच्छी स्थिति में है. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर येचुरी का मकसद अपने दोस्त का हालचाल लेना है, तो उन्हें इसका मौका मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, "आप जाइये. अपने दोस्त से मिलिए. उनकी खैरखबर लीजिए और वापस आ जाइए. कोई राजनीतिक या माहौल बिगाड़ने वाली गतिविधि मत कीजिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो प्रशासन को आपके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार होगा."
कोर्ट ने अनंतनाग में अपने परिवार से संपर्क न हो पाने की बात कह रहे एक छात्र को भी वहां जाने और परिवार से मिलने को कहा. छात्र फिलहाल दिल्ली में है. कोर्ट ने कहा, "अगर छात्र को किसी तरह की सुरक्षा की जरूरत है तो प्रशासन उसे सुनिश्चित करे और देखे कि वह परिवार से मिल सके."
राज्य में लगी पाबंदियों पर जवाब मांगा
राज्य के कई हिस्सों में धारा 144 और कर्फ्यू लगे होने, मोबाइल-इंटरनेट जैसी सेवाओं के बाधित होने की शिकायत कर रही जम्मू कश्मीर टाइम्स के संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. भसीन का कहना है कि इन पाबंदियों के चलते उनके अखबार का श्रीनगर संस्करण प्रकाशित नहीं हो पा रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह 1 हफ्ते में इस याचिका पर जवाब दाखिल करे. हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि राज्य में परिस्थितियां सामान्य बनाने के लिए सरकार और सुरक्षा बल लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसमें कुछ वक्त लगेगा, जिसका उन्हें मौका दिया जाना चाहिए.
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