साल 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाया गया तो कांग्रेस ने इसका संसद में जमकर विरोध किया था. हालांकि, कुछ सालों में उसी कांग्रेस का रुख एकदम बदला हुआ नजर आया है. सोमवार (11 दिसंबर) को जब सुप्रीम कोर्ट ने 370 हटाए जाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया तो कांग्रेस ने इसकी बहाली को लेकर कोई बात नहीं की. वह जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने की मांग करती नजर आई. पिछले कुछ सालों में उसका यही रुख नजर आया है. जब-जब कांग्रेस के टॉप लीडर्स से जम्मू-कश्मीर में 370 की बहाली को लेकर सवाल किया गया तो उनका रुख साफ नहीं था.


पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिंदबरम और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेंस की. इस दौरान, पी. चिदंबरम ने कहा, 'हमने कभी भी अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की बात नहीं की. हमने उसे हटाने के तरीके का विरोध किया है.' चिदंबरम ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का 370 पर जो फैसला आया है, उसने कई महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान किया है लेकिन कई सवाल बाकी हैं. 476 पन्नों का ये फैसला है, इसलिए हमें इसे पढ़ने में समय लगेगा. हम फैसले से असहमत हैं. 370 हटाने का जो तरीका था, हम उसके खिलाफ थे. हमने सीडब्ल्यूसी में प्रस्ताव भी पास किया था.''


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोली कांग्रेस?
चिदंबरम ने कहा, 'पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाना चाहिए. लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी पूरी होनी चाहिए. हम विधानसभा चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हैं. हालांकि, हमारा मानना ​​​​है कि चुनाव तुरंत होने चाहिए और 30 सितंबर, 2024 तक इंतजार करने की कोई वजह नहीं है.' वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा , 'सुप्रीम कोर्ट हमारे यहां सर्वोच्च है और उसके फैसले के बाद आज से ये बहस खत्म हो गई है. ये निर्णय अंतिम है. हम इस पर पुनर्विचार नहीं करेंगे.'


2019 में जताया था कड़ा विरोध
अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने आर्टिकल-370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. तब कांग्रेस ने जमकर विरोध जताया था. संसद में खूब हंगामा किया, बैठकें कीं, पार्टी नेताओं ने खूब बयानबाजियां कीं. 6 अगस्त, 2019 को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने केंद्र के फैसले के खिलाफ बैठक की थी.सीडब्ल्यूसी ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370, 1947 में जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विलय पत्र की शर्तों की संवैधानिक मान्यता थी.


द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 अगस्त को पीडीपी और कांग्रेस समेत जम्मू-कश्मीर के विभिन्न दलों ने श्रीनगर के गुप्कर रोड पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला के आवास पर मुलाकात की. उन्होंने अनुच्छेद 370 के बचाव पर एक संयुक्त बयान जारी किया और 370 को निरस्त किए जाने के एक साल बाद, कांग्रेस सहित इन दलों के नेताओं ने गुपकर घोषणा को बरकरार रखने के लिए फिर से मुलाकात की. 


इस मुलाकात में कहा गया कि पार्टियां अनुच्छेद 370 और 35 की बहाली के लिए प्रयास करेंगी. इसके बाद, सात दलों के इस समूह ने अक्टूबर 2020 में पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (PAGD) के रूप में औपचारिक रूप ले लिया, जिसमें जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव एक साथ लड़ने का संकल्प लिया गया. सीट बंटवारे की बातचीत में कांग्रेस भी शामिल हो गई.


कांग्रेस ने कैसे बदला अपना रुख
नवंबर 2020 में कांग्रेस ने कहा कि वह PAGD का हिस्सा नहीं है. पार्टी ने यह ऐलान ऐसे समय में किया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएजीडी को गुपकर गैंग बताया और कहा कि यह कांग्रेस के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर को आतंक और उथल-पुथल के युग में वापस ले जाना चाहता है. अमित शाह ने इसे अपवित्र वैश्विक गठबंधन बताते हुए कहा कि पीएजीडी चाहता है कि विदेशी ताकतें जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप करें. तब से कांग्रेस 370 पर अपने रुख को लेकर सतर्क बनी हुई है. 


370 के सवाल पर बचते दिखे कांग्रेस नेता
370 पर कांग्रेस का बदला हुआ रुख कई मौकों पर देखने को मिला है. जब-जब उसके सीनियर नेताओं से इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसकी बहाली को लेकर स्पष्ट रुख नहीं दिखाया, जिस तरह वह पहले इसकी वकालत करते थे. राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का 29 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में समापन किया. तब भी उनसे इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने 370 की बहाली पर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई और जब उनसे कहा गया कि CWC का इसे लेकर रुख स्पष्ट नहीं है तो राहुल गांधी ने कहा, 'आर्टिकल 370 पर मेरी और कार्य समिति की स्थिति बहुत स्पष्ट है. मैं तुम्हें दस्तावेज सौंप दूंगा...तुम इसे पढ़ सकते हो. हमारी स्थिति यही है.'


इसके अलावा, कांग्रेस की रायपुर में समीक्षा बैठक हुई, उसमें भी आर्टिकल 370 की बहाली को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. पार्टी के प्रस्ताव में कहा गया कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के संरक्षण में लाने का प्रयास करेगी, लेकिन इसमें 370 का कोई जिक्र नहीं था.