नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के फॉरेस्ट गार्ड्स और रेंजर्स की सुरक्षा पर चिंता जताई है. जंगल की सुरक्षा के दौरान शिकारियों के हमले का शिकार होने वाले कर्मचारियों की उपेक्षा पर कोर्ट ने असंतोष जताया. कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि वह वन कर्मचारियों को हथियार उपलब्ध करवाने का आदेश देगा. वन्य जीवों के शिकार, जंगल मे अतिक्रमण, वन कर्मचारियों पर हमले जैसे कई मुद्दों को उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कई निजी अनुभव बताए. उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले वह कर्नाटक के एक रिज़र्व फॉरेस्ट में थे. वहां उन्होंने फॉरेस्ट गार्ड को चप्पल पहन कर, लाठी लिए पैदल ड्यूटी करते देखा. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में तमाम ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां कर्मचारी शिकारियों के हमले का निशाना बने हैं. यही स्थिति पूरे देश में है.


FIR पर पुलिस की उचित कार्रवाई न होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज


तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने इस बात पर नाराजगी जताई कि वन कर्मचारियों की तरफ से दर्ज करवाई गई FIR पर पुलिस उचित कार्रवाई नहीं करती. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के आंकड़ों को देखते हुए कोर्ट ने तीनों राज्यों के गृह सचिव से जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने कहा, "गृह विभाग को गंभीर बनाना जरूरी है. हम चाहते हैं कि इन राज्यों के डीजीपी नहीं, गृह सचिव 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करें."


असम छोड़कर पूरे देश में एक जैसी स्थिति- चीफ जस्टिस


इस दौरान महाराष्ट्र के वकील राहुल चिटनिस ने दावा किया कि उनके राज्य में वन अधिकारियों को हथियार दिए गए हैं. चीफ जस्टिस ने एक और व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए उनकी बात का खंडन किया. उन्होंने कहा, "पिछले महीने मैं महाराष्ट्र के एक जंगल में था. वहां भी गार्ड लाठी लिए पैदल घूम रहे थे. असम में ज़रूर कर्मचारियों को हथियार दिए गए हैं. बाकी पूरे देश में एक जैसी स्थिति है." कोर्ट ने भविष्य में दिए जाने वाले आदेश का संकेत देते हुए कहा, "हम चाहते हैं कि फॉरेस्ट गार्ड को बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट और एक तय रैंक से ऊपर के रेंजर्स को हथियार भी दिए जाएं." कोर्ट ने मामले के एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील ए डी एन राव से कहा कि वह बेहतर प्रदर्शन कर रही असम सरकार से बात करें और स्थिति का अध्ययन कर उपाय सुझाएं.


चीन में पैंगोलिन के कवच की बहुत मांग- चीफ जस्टिस


वन जीवन से जुड़े मामलों में विशेष रुचि रखने वाले जस्टिस बोबड़े ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक के जंगल में घूमते हुए पैंगोलिन के कवच देखे. उसे शिकारियों ने मारा था, लेकिन कवच नहीं ले जा पाए थे. चीफ जस्टिस ने कहा, "चीन में पैंगोलिन के कवच की बहुत मांग है. वहां कुछ खास कामों में इसका इस्तेमाल होता है. वन्य जीवों से जुड़ा अवैध विदेशी व्यापार करोड़ों रुपए का है. ED और दूसरी एजेंसियों को इसकी जांच करनी चाहिए." केंद्र की तरफ से कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसे गंभीरता से लेने का आश्वासन कोर्ट को दिया.


याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने राजस्थान के माउंट आबू के जंगलों में अतिक्रमण का मसला उठाया. गूगल मैप से हासिल चित्र कोर्ट को दिखाते हुए उन्होंने बताया कि अतिक्रमण के चलते पशु पानी के स्रोत तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार से इस पर भी रिपोर्ट मांगी. पूरे मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.


यह भी पढ़ें-


Highest Paid CEO: क्या आप जानते हैं देश में किस सीईओ को सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है? तनख्वाह सुनकर होश उड़ जाएंगे


अर्थव्यवस्था 2020-21: आजादी के बाद अब तक का होगा सबसे खराब प्रदर्शन, सरकार का अनुमान- आएगी 7.7% की गिरावट