नई दिल्ली: सरकार को पेट्रोल डीजल के दाम कम करने का निर्देश दिए जाने की मांग कर रहे कर रहे याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने आज कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने याचिका को बेतुकी करार देते हुए कहा कि अगर वकील ने मामले में बहस की तो याचिकाकर्ता पर भारी हर्जाना लगाया जाएगा लगाया जा सकता है. इसके बाद वकील ने तुरंत जिरह बंद कर दी.
याचिका में क्या कहा गया था?
केरल के त्रिशूर के रहने वाले वकील और कांग्रेस नेता शाजी जे. कोडनकंडथ ने याचिका दायर कर कहा था कि देश में हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो रहा है. दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमत में पिछले कुछ समय में लगातार गिरावट आई है. लेकिन भारत में सरकार इसका लाभ लोगों को नहीं दे रही है. पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्य सरकारें भारी टैक्स लगा रही हैं. इस तरह से आम लोगों को नुकसान हो रहा है.
याचिकाकर्ता ने किसी कानूनी कमी को भी सामने नहीं रखा
सुप्रीम कोर्ट में आज यह मामला जस्टिस रोहिंटन नरीमन, नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी की बेंच के सामने लगा. याचिका सरकार की आर्थिक नीति से जुड़ा था और याचिकाकर्ता ने किसी कानूनी कमी को भी सामने नहीं रखा था, ऐसे में जजों ने इसे अपने सामने लगाए जाने पर हैरानी जताई. शाजी कोडनकंडथ के लिए पेश वकील गौरव अग्रवाल ने जैसे ही अपनी बात रखनी शुरू की तो जस्टिस नरीमन ने कहा, “आप सचमुच इस याचिका पर बहस करना चाहते हैं? अगर आप ऐसा करेंगे तो हम याचिकाकर्ता पर भारी हर्जाना भी लगा सकते हैं.“
जजों ने याचिका खारिज कर दी
जजों के मूड को भांपते हुए वकील ने कहा, “अगर ऐसा है, तो मुझे याचिका वापस लेने की इजाज़त दे दी जाए.“ वकील ने यह भी स्वीकार किया कि मामला सरकार की आर्थिक नीति से जुड़ा होने के चलते इसमें कोर्ट की तरफ से कोई निर्देश जारी होने की गुंजाइश बहुत कम है. इसके बाद जजों ने याचिका खारिज कर दी.
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