नई दिल्ली: देश में कोरोना के बिगड़ते हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारों ने सावधानी नहीं बरती दिसंबर में हालात बेकाबू हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आज खास तौर पर दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात सरकार से कई सवाल किए.


जून के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही और इस बीमारी से मरने वाले लोगों को गरिमा पूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार न मिल पाने पर संज्ञान लिया था. उस दौरान कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से रिपोर्ट ली थी और कड़े निर्देश भी जारी किए थे. इसके चलते बीमारी को नियंत्रण में रखने में काफी मदद मिली थी. आज लंबे अरसे बाद मामला कोर्ट में लगा. कोर्ट ने ज्यादातर राज्य सरकारों की तरफ से हलफनामा दाखिल न होने पर असंतोष जताया.


सुनवाई के दौरान सबसे पहले बारी आई दिल्ली सरकार की. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह कहा कि दिल्ली में पिछले 2 हफ्ते में हालात बहुत बिगड़े हैं. कोर्ट जानना चाहता है कि दिल्ली सरकार स्थिति से निपटने के लिए क्या कर रही है?


दिल्ली सरकार के लिए पेश वकील ने बताया कि 115 निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत बेड कोविड के मरीजों के लिए आरक्षित रखने का आदेश दिया गया है. आईसीयू में भी बेड की विशेष व्यवस्था की जा रही है. कोरोना के मरीजों के गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार को लेकर भी बंदोबस्त किए गए हैं.


जज इन बातों से आश्वस्त नजर नहीं आए. उन्होंने दिल्ली सरकार को बंदोबस्त चाक-चौबंद करने के लिए कहा और स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी. कोर्ट ने यह कहा है कि दिल्ली सरकार गुरुवार तक हलफनामा दाखिल कर दे.


सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह माना कि दिल्ली में अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कोर्ट को यह जानकारी दी कि केंद्रीय गृह मंत्री भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक भी की है. इसके बाद बारी आई असम, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की. गुजरात और महाराष्ट्र में बरती जा रही लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई.


3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस एम आर शाह ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, “आपने कोरोना को लेकर कोई नीतिगत फैसला लिया है, हमें यह नहीं लगता. राज्य में शादियां और राजनीतिक कार्यक्रम बेधड़क हो रहे हैं. लोग बड़ी संख्या में बीमारी का शिकार हो रहे हैं और उनकी मृत्यु हो रही है. लेकिन स्थिति संभालने के लिए सरकार बहुत चिंतित नजर नहीं आ रही है.”


महाराष्ट्र सरकार को हलफनामा दाखिल न करने के लिए कोर्ट ने आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. तमाम शहरों में लोग से प्रभावित हो रहे हैं. राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे और बताएं उसने कोरोना के मरीजों को इलाज को लेकर क्या बंदोबस्त किए हैं.


सुनवाई के अंत में जजों ने सभी राज्य सरकारों को आगाह किया. कोर्ट ने कहा कि अगर राज्यों ने अभी सावधानी नहीं बरती, हालात को काबू में रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए, तो दिसंबर के महीने में स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं. कोर्ट ने राज्यों से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 27 नवंबर को होगी.


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