School Re-open: देश के कई राज्यों में अब धीरे धीरे स्कूल खुलने जा रहे है और कुछ जगह खुल चुके है. इसको लेकर सरकारों ने गाइडलाइन और एसओपी भी जारी की है ताकि संक्रमण न फैले. लेकिन स्कूल खुलने को लेकर क्या है जानकारों की राय? जानकारों के मुताबिक ये सही फैसला है और अब स्कूल खुलने चाहिए.
देश मे पिछले साल कोरोना के चलते पहले लॉकडाउन लगा और स्कूल बंद हुए और बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो गई. कोरोना की दूसरी लहर अभी तक खत्म नहीं हुई लेकिन अब धीरे-धीरे स्कूल खुलने जा रहे हैं. कुछ राज्य में स्कूल शुरू हुए तो कुछ में सिंतबर से खुल रहे हैं स्कूल. कई राज्य सरकारों ने सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी की क्लास शुरू करने का फैसला किया है. फैसला तो हो गया लेकिन क्या स्कूल खुलने चाहिए? क्या कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने से पहले स्कूल खोले जाने चाहिए? क्या बच्चों को खतरा नहीं होगा? ऐसे कई सवाल है अभिभावकों के मन में हैं.
इस फैसले पर क्या है देश के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और बड़े डॉक्टरों की राय, इस बारें में हमने बात की पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ पुनीत मिश्रा, डॉ संजय राय, एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा और डॉ समीर भाटी से. इन सबकी राय है कि बच्चों का स्कूल खुलना चाहिए. इनकी राय साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर है.
डॉक्टरों के मुताबिक हाल में आए आइसीएमआर के चौथे सीरो सर्वे हुआ जिसमें पाया गया कि बच्चों और बड़ों में संक्रमण बराबर हुआ. ज्यादातर बच्चों को संक्रमण का पता नहीं चला तो कुछ को माइल्ड रहा. बच्चों में इसे ज्यादा घातक नहीं पाया गया. यही आधार है की पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते है की स्कूल खुलने चाहिए क्योंकि बच्चों इसका ज्यादा खतरा नहीं. साथ ही देश मे टीकाकरण भी तेजी से हो रहा है.
WHO और एम्स ने हाल में अपने सीरो सर्वे के अंतरिम नतीजे पेश किए थे, जिसमें देश की दो तिहाई आबादी यानी 60 फीसदी से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए थे. इस सीरो प्रिवलेंस स्टडी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ पुनीत मिश्रा का मनना है की बच्चों के स्कूल खोल देने चाहिए क्योंकि बच्चों में संक्रमण दर उतना ही जितना बड़ो में था. वहीं मौजूदा साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर ये देखा गया है कि बच्चों में ज्यादा घातक नहीं होता है बहुत माइल्ड होता है. ज्यादातर बच्चों में इसके लक्षण तक नहीं आते है.
इसी तरह इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली के एम्स में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का वयस्कों और 2 से 18 साल के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल करने वाले डॉ संजय राय के मुताबिक स्कूल खुलने का फैसला सही है. उनके मुताबिक आइसीएमआर की हाल में आई चौथी सीरो प्रिवलेंस सर्वे रिपोर्ट और WHO और एम्स की सीरो सर्वे के अंतरिम नतीजों में साफ पाया गया है की बच्चों में और वयस्कों में संक्रमण लगभग बराबर है. भारत की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी में सीरो प्रिवलेंस सर्वे में एंटीबाडी पाई गई यानी लोग पॉजिटिव हुए है जिसमें बच्चे भी शामिल है. वहीं डॉ संजय राय के मुताबिक इन्फेक्शन के बाद शरीर मे बनी एंटीबाडी ज्यादा बेहतर प्रोटेक्ट करती है.
एम्स के पूर्व निदेशक रहे डॉ एम सी मिश्रा का भी मनना है कि हाल में आए सीरो सर्वे के नतीजे और बच्चों में इस बीमारी के आंकड़े बताते है कि ये बीमारी बच्चों में उतनी ज्यादा घातक नहीं है. वहीं उनके मुताबिक जब बच्चों के स्कूल बंद थे और सीरो प्रिवलेंस रिपोर्ट आई उसमें ये देखा गया कि बच्चों में संक्रमण हो चुका है और उनमें एंटीबाडी है, साथ ही ये बच्चों उतना गंभीर नहीं था.
डॉ समीर भाटी के मुताबिक स्कूल न जाने से भी बच्चो के विकास पर असर पड़ता है. बच्चों के स्कूल जाने पर शरीक और मानसिक रूप से असर पड़ता है.
जानकारों के मुताबिक स्कूल खुलने चाहिए. स्कूलों के अलावा माता पिता को भी ध्यान रखने की जरूरत है.
- स्कूल में टीचर और नॉन टीचिंग स्टाफ वैक्सीनटेड हो.
- बच्चों को सेनिटाइज रहे के बारे में कहे.
- बच्चों की हर दिन तबियत पर ध्यान दें.
- बच्चे की तबियत अगर खराब लगे तो स्कूल न भेजें.
जानकारों के मुताबिक अभी मौजूद सभी साइंटिफिक एविडेंस बताते है की वायरस से बच्चों में खास नुकसान नहीं होता है. वहीं ज्यादातर बच्चों में सीरो सर्वे के दौरान एंटीबाडी मिली है इसका मतलब वो संक्रमित हो चुके है और अब तक यही देखा गया है की नेचुरल इन्फेक्शन ज्यादा अच्छा प्रोटेक्शन देता है.