Black substance on onions and garlic: आपने अक्सर प्याज और लहसुन की सतह पर काला पदार्थ देखा होगा. आप ये सोचते भी होंगे कि आखिर ये क्या है. क्या ऐसे प्याज और लहसुन का सेवन करना चाहिए. कैसे हम इससे बच सकते हैं. पर शायद ही आपको इसका जवाब मालूम हो. यहां हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे और समझाएंगे कि कैसे आप इससे बच सकते हैं.


जब आप प्याज और लहसुन को छीलते हैं तब आपको यह काला पदार्थ दिखता है. कई लोग इसे मिट्टी समझते हैं तो कुछ इसे गंदगी. पर ये इसमें से कुछ नहीं है. यह काला पदार्थ एक कवक या फफूंद है, जिसे एस्परगिलस नाइजर कहते हैं. काली फफूंद आमतौर पर मिट्टी में पाई जाती है और कटे हुए प्याज पर फफूंदी को बढ़ने से रोकने के लिए, उन्हें कम से कम दो महीने तक रेफ्रिजरेटर में संग्रहित किया जा सकता है.


एस्परगिलस नाइजर प्याज और लहसुन को कैसे संक्रमित करता है?


यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया एग्रीकल्चर एंड नेचुरल रिसोर्सेज के अनुसार, एस्परगिलस नाइजर पहली बार प्याज और लहसुन पर कालिख से ढके क्षेत्र के रूप में पाया गया. यह कालापन सूक्ष्म बीजाणुओं से बना होता है, और सब्जी की गर्दन या बाहरी हिस्से पर हो सकता है. यह तब बनता है जब किसी चोट, बीमारी या पत्ते के गिरने के कारण सब्जी की त्वचा पर एक छेद बन जाता है. इसी वजह से उस पर वह कालापन आ जाता है.


इस वजह से भी ले लेते हैं अपनी चपेट में


एस्परगिलस नाइजर के सूखे होने पर भी प्याज व लहसुन में बन सकते हैं. जिन सब्जियों पर यह आता है उनके छिलकों में पानी आने लगता है. इसके फंगल अक्सर शिराओं के साथ एक धारीदार पैटर्न में नजर आते हैं. कुछ मामलों में,  अंदरूनी हिस्से भी भूरे या काले रंग के धब्बे बनते जाते हैं. जब परिस्थितियां शुष्क होती हैं, तब इससे ग्रसित लहसुन और प्याज सूख जाते हैं और मुरझा जाते हैं. कई मामलों में यह प्याज और लहसुन के अंदर के हिस्से को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं.


प्याज और लहसुन पर काली फफूंद किन परिस्थितियों में विकसित होती है?


एस्परगिलस नाइजर, या काली फफूंदी की ओर से बनी काली कालिख कटाई के बाद की स्थिति है, क्योंकि यह प्याज और लहसुन दोनों पर होता है इसलिए यह अधिक चिंता का विषय है. यहां आपको बता दें कि सभी प्याज और लहसुन की फसलें काली फफूंद से संक्रमित नहीं होती हैं, लेकिन गर्म परिस्थितियों में उगाई जाने वाली फसलें अक्सर एस्परगिलस नाइजर के काले फंगस की चपेट में आ जाती हैं. भारत और कैलिफोर्निया के रेगिस्तानी इलाके जो गर्म क्षेत्र हैं, वहां उगाई जाने वाली प्याज और लहसुन की फसलों पर अक्सर ये काले धब्बे विकसित हो जाते हैं.


ब्लैक मोल्ड तब होता है जब बल्ब पर छह से 12 घंटे तक नमी मौजूद रहती है. यदि भंडारण के समय बल्ब नम हैं, या जब प्याज और लहसुन को भंडारण के लिए भेजा जाता है  और भंडारण से बाहर लाया जाता है, तो बाहरी सूखे हिस्से के बीच बल्बों पर संघनन जमा हो जाता है और ब्लैक मोल्ड पनप जाता है.


इसे कैसे रोक सकते हैं?


एस्परगिलस नाइजर के विकास को धीमा करने के लिए 59 डिग्री फ़ारेनहाइट या 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर और कम आर्द्रता पर बल्बों का भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन जैसे स्टेप्स को फॉलो करके ट्रेडिशनल तरीके से ब्लैक मोल्ड से निपटा जा सकता है. इसके अलावा अन्य उपायों में कटाई, रख-रखाव और ट्रांसपोर्टेशन के उसके बाहरी हिस्से के खुलेपन को कम करने के लिए चोट और चोट को कम करना शामिल है. यही नहीं प्याज की कटाई तुरंत की जानी चाहिए और सुखाने में देरी नहीं की जानी चाहिए. सुखाने के लिए गर्म हवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. प्याज और लहसुन के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान फिक्स टेंपरेचर बनाए रखना चाहिए. अमेरिकी विभाग के अनुसार  कृषि के क्षेत्र में प्याज के बाहरी शल्कों पर थोड़ी मात्रा में काले फफूंद को ठंडे, बहते नल के पानी से धोकर, या प्रभावित परतों को काटकर फफूंद को बढ़ने से रोका जा सकता है.


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