वाशिंगटन: चमगादड़ों और विषाणुओं पर की गई एक अध्ययन (स्टडी) के अनुसार चमगादड़ों के विभिन्न समूहों में विशिष्ट प्रकार के कोरोना वायरस होते हैं. कोरोना वायरस विषाणुओं की वही प्रजाति है, जिनसे कोविड-19 बीमारी होती है.


अध्ययन में कहा गया कि लाखों वर्षों से चमगादड़ और कोरोना वायरस की विकास प्रक्रिया एक साथ चल रही है.


शोध पत्रिका ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार चमगादड़ जहां एक ओर पौधों के परागण में सहायता करते हैं, बीमारी फैलाने वाले कीटों को खाते हैं और उष्ण कटिबंधीय वन के पेड़ों के बीज को फैलाते हैं, वहीं दूसरी तरफ वे प्राकृतिक रूप से कोरोना वायरस के वाहक भी हैं.


विषाणुओं की इस विविधतापूर्ण प्रजाति को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने पश्चिमी हिन्द महासागर और अफ्रीका के आसपास पाए जाने वाले चमगादड़ों की 36 प्रजातियों में रहने वाले कोरोना वायरस पर तुलनात्मक अध्ययन किया.


अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में से एक स्टीव गुडमैन ने कहा, “हमने पाया कि चमगादड़ों और कोरोना वायरस के विकास क्रम का लंबा इतिहास रहा है.”


शिकागो के फील्ड संग्रहालय के वैज्ञानिक गुडमैन ने कहा, “कोरोना वायरस के विकास क्रम का अध्ययन करने से हमें भविष्य में जन स्वास्थ्य कार्यक्रम निर्मित करने में सहायता मिलेगी.”


अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार जितने प्रकार के कोरोना वायरस हैं, लगभग उतने प्रकार के चमगादड़ हैं और उन विषाणुओं से मानवों को खतरा पैदा होने या संक्रमित होने की कोई जानकारी प्राप्त नहीं है.


चमगादड़ों में रहने वाले जिन कोरोना वायरस का अध्ययन किया गया, वह उनसे भिन्न हैं, जिनसे कोविड-19 बीमारी होती है. वैज्ञानिकों ने कहा कि हालांकि इन विषाणुओं पर अध्ययन करने से महामारी फैलाने वाले विषाणुओं के प्रति समझ विकसित करने में सहायता मिलेगी.


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