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कैपुचिन बंदरिया की Female Monkey के साथ रहने से बढ़ती है उम्र, स्टडी में खुलासा
Study on Monkey: साइंटिस्ट ने कैपुचिन बंदरों के हर रोज के कामों को अध्ययन कर रिसर्च तैयार की. बता दें कि कैपुचिन बंदर इंसानों की तरह सोशल लाइफ जीते हैं. साथ ही अपनी दोस्ती को भी टेस्ट करते हैं.
![कैपुचिन बंदरिया की Female Monkey के साथ रहने से बढ़ती है उम्र, स्टडी में खुलासा Scientist and professor reveals female Capuchin monkey live longer with their female companions कैपुचिन बंदरिया की Female Monkey के साथ रहने से बढ़ती है उम्र, स्टडी में खुलासा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/15/fade163860d2bd2aa8fd7bd1f3bc85121660556913891528_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Female Monkey life: एक स्टडी में खुलासा हुआ कि मादा बंदर (Female Monkey) का अपनी सहेलियों के साथ रहने से जीवन लंबा हो जाता है. दरअसल यह रिपोर्ट कोस्टरिका के गुआनाकास्ट में प्रोप्रेसरों और फील्ड प्राइमेटोलॉजिस्ट ने तैयार की है. इन्होंने बड़े दिमाग वाले कैपुचिन बंदरों (Capuchin monkey) के हर रोज के जीवन की स्टडी (Study) करके यह रिसर्च की है. शोध में देखा गया कि मादा कैपुचिन बंदर जो दूसरे अडल्ट बंदरों (Adult Monkey) के साथ सामाजिक नेटवर्क स्थापित कर जीवन जीती हैं, वे ज्यादा समय तक जिंदा रहची है.
साइंटिस्ट ने बंदरों के हर रोज के कामों को अध्ययन कर रिसर्च तैयार की है. इसमें बंदरों के खेलने, लड़ाई और एक-दूसरे की मदद आदि शामिल है. बता दें कि सफेद चेहरे वाले कैपुचिन बंदर इंसानों की तरह सोशल लाइफ जीते हैं. साथ ही अपनी दोस्ती को भी टेस्ट करते हैं. एंथ्रोपोलाजी प्रोफेसर और फील्ड प्राइमेटोलॉजिस्ट सुसान पैरी ने कहा कि इंसान होने पर हम मानते कि सोशल जुड़ाव से कुछ फायदा होता हे लेकिन इसे टेस्ट करना बहुत मुश्किल है. सवाल किया कि मनुष्य के दूसरे के साथ जुडने के बाद उसे बनाए रखने के लिए हम इतनी मेहनत क्यों करते हैं? बता दें कि पैरी ने 1990 में कोस्टा रिका के गुआनाकास्ट में कैपुचिन बंदरों पर अध्ययन किया था.
रिसर्च कैसे तैयार हुई?
पेरी को सहयोग करने वाली उनकी टीम में रिसर्च स्टूडेंट,अंतरराष्ट्रीय वालंटियरों और स्थानीय शोधकर्ताओं करने वाले थे. इन सबने मिलकर एक साल हर रोज 13 घंटे तक जंगलों में मादा बंदरों के जुड़ाव और व्यवहार को ट्रैक किया था. हाल ही में बिहेवियरयल इकोलाजी में छपी रिसर्च में 18 साल के आंकड़ों में मादा बंदरों के साथ की साल वाले बंदरों के साथ व्यवाहर की पड़ताल की है.
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