बेगलुरु: प्रख्यात वैज्ञानिक के. कस्तुरीरंगन का कहना है कि वह ऑनलाइन शिक्षा की अवधारणा के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि प्रत्यक्ष शारीरिक उपस्थित और परस्पर मानसिक जुड़ाव महत्वपूर्ण होता है. इसी से बच्चों में चंचलता और रचनात्मकता आती है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष आमने-सामने के संपर्क, बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान के पारंपरिक तरीकों पर जोर देते हैं.
कोरोना वायरस महामारी के बीच स्कूलों के बंद होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर देश में एक बहस चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘मूल रूप से बच्चों का शारीरिक और मानसिक संपर्क बहुत जरूरी है. चंचलता, रचनात्मकता और कई अन्य चीजें कभी भी ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों में नहीं आ सकती है.’’
कस्तूरीरंगन 1994 से 2003 के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि मस्तिष्क का 86 प्रतिशत विकास आठ साल की उम्र तक हो जाता है और बच्चों के शुरुआती समय का मूल्यांकन बेहद सतर्कता से होना चाहिए और किसी भी तरह के नए तरीके अपनाने के लिए वैज्ञानिक आधार की जरूरत है.
पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘आठ साल की उम्र तक मस्तिष्क का विकास लगातार होता रहा है और अगर आपने बातचीत के जरिए लगातार मस्तिष्क को उभारने का कार्य नहीं किया तो प्रत्यक्ष रूप से आप अपने नौजवानों के सर्वश्रेष्ठ दिमागी शक्ति और प्रस्तुती से वंचित रहने जा रहे हैं.’’
राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा, ‘‘ ये ऐसे विषय हैं जिसका मूल्यांकन बहुत ही सावधानी से किए जाने की जरूरत है. जिस तरह से हम उच्च शिक्षा में ऑनलाइन कक्षाओं की बात करते हैं, वह रास्ता बच्चों के शुरुआत चरणों पर काम करने का नहीं हो सकता है.’’ उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों में ऑनलाइन शिक्षा के मुद्दे पर बहुत सावधानी से सोच-विचार करने की जरूरत है और बिना किसी वैज्ञानिक आधार के कोई भी रुख नहीं अपनाया जाना चाहिए.
वहीं अन्य विख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर सी एन आर राव ने भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने पर असहमति जाती है. उन्होंने बच्चों के दिलो-दिमाग को प्रेरित करने में मानवीय दखल के जरिए अच्छी बातचीत को अहम बताया है. राव को 2014 में 'भारत रत्न' से सम्मानित किया जा चुका है.
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के मानद अध्यक्ष और लिनस पॉलिंग रिसर्च प्रोफेसर ने कहा कि केजी, पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई को समाप्त करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऑनलाइन शिक्षा को लेकर उत्साहित नहीं हूं. हम बच्चों के साथ अच्छे से संपर्क कर सकें, बातचीत कर सकें इसके लिए व्यक्ति से व्यक्ति के संपर्क की जरूरत है."
उनका साथ में ये भी कहना बै कि इसी तरह से बाल मन को प्रेरित किया जा सकता है.
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