नई दिल्लीः उत्तराखंड में पिछले महीने ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ से काफी जान माल का नुकसान हुआ. धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा नदियों में हुए हिमस्खलन और बाढ़ से कई घर बह गए थे. इस हादसे में कम से कम 70 लोगों की मौत हो गई और 135 से ज्यादा लोग लापता हो गए. उत्तराखंड में हुए इस हादसे को लेकर अब नए दावे सामने आए हैं.


इंटरनेशनल माउंटेन फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट ( ICIMOD) ने शुक्रवार को कहा कि यह हादसा भारी रॉकस्लाइड के कारण हुआ था. यानी भारी पत्थरों का खिसकना इस हादसे की वजह बना. रिपोर्ट के अनुसार, रोंटी चोटी के ठीक नीचे बर्फ पिघलने से रॉकस्लाइड हुआ.


भारी पत्थर गिरने से बहाव में आई तेजी
आईसीआईएमओडी के निष्कर्षों में कहा गया है कि बर्फ के साथ मिश्रित 22 मिलियन क्यूबिक मीटर पत्थर गिरे. इससे पानी का बहाव तेजी से बढ़ा और अत्यधिक बाढ़ की स्थिति बनी. इस संगठन के आठ सदस्य हैं जिनमें चीन, नेपाल भी शामिल हैं.


13 गांवों की कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए तैयार किया गया पुल
इस बीच, उत्तराखंड के चमोली जिले के 13 गांवों से कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए ऋषिगंगा के ऊपर एक वैकल्पिक बेली पुल बनाया गया है .7 फरवरी को बाढ़ में पुल बह जाने के बाद इन गांवों का संपर्क कट गया था.


सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिवालिक परियोजना के मुख्य अभियंता एएस राठौर ने कहा कि पुल का निर्माण 25 फरवरी से शुरू हुआ था और इसे 20 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बीआरओ ने इसे समय से पहले पूरा करने के लिए ओवरटाइम काम किया. शुक्रवार को ट्रायल के बाद नवनिर्मित बेली ब्रिज जनता के लिए खोल दिया गया


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