Lunar Eclipse : प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने ग्रहण को प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं के रूप में मानने और इससे जुड़े अंधविश्वास पर भरोसा नहीं करने की अपील की है. आंशिक सूर्य ग्रहण के ठीक एक पखवाड़े बाद मंगलवार को भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिला. खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 21वीं सदी में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास के बावजूद लोग इस तरह की प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं से जुड़े अंधविश्वास को मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इसे सिर्फ एक प्राकृतिक खगोलीय घटना के रूप में ही मानना चाहिए.’’


रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों से संबंध रखने वाले देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि सूर्य या चंद्र ग्रहण को लेकर अंधविश्वास न केवल देश में बल्कि दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में देखा जाता है. भारत में लोग ग्रहण के दौरान न तो खाना खाते हैं और न ही पकाते हैं. कुछ लोग इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं के दौरान अपने घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इसके संपर्क में आने से भ्रूण को नुकसान हो सकता है.


सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास चंद्र ग्रहण की तुलना में अधिक हैं 


दुआरी ने कहा, ‘‘किसी भी तरह से ग्रहण हमारे जीवन, हमारे व्यवहार, हमारे भविष्य या हमारे अतीत को प्रभावित नहीं करेगा.’’ खगोल वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूर्णिमा की रात को पृथ्वी के छाया क्षेत्र से होकर गुजरता है. चंद्र ग्रहण देखने के लिए सावधानियों की आवश्यकता नहीं है, हालांकि सूर्य ग्रहण देखने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय करना आवश्यक है. आंखों से सीधे सूर्य ग्रहण देखने से रेटिना को अपूरणीय क्षति हो सकती है. उन्होंने कहा कि भारत के अलावा, एशिया, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के अन्य हिस्सों के लोग इस खगोलीय घटना को देख सकेंगे . 


चंद्र ग्रहण की पौराणिक मान्यता 


चंद्र ग्रहण भले एक खगोलीय घटना हो लेकिन इससे जुड़ी अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं भी हैं जिस पर लोग विश्वास करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चंद्र ग्रहण तब होता है जब राक्षसों के देवता राहु चंद्रमा को अपने मुंह से पकड़ लेते हैं. राहु को राक्षसों का देव माना जाता है इसलिए ग्रहण को भी नकारात्मकता और बुरी ऊर्जाओं का प्रतीक माना जाता है.


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