SCO सम्मेलन: भारत-पाकिस्तान रिश्तों में कई नाटकीय घटनाक्रमों का रहा है गवाह
भारत-पाकिस्तान रिश्तों में किसी यूटर्न की उम्मीद धुंधली है. वहीं बिश्केक तक यात्रा के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल न कर के इस बारे में अपनी मंशा भी साफ कर दी है.
नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के रिश्तों और शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO के मंच का एक रोचक इतिहास रहा है. बीते एक दशक में कई बार एससीओ का मंच भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात और नाटकीय घटनाक्रमों का गवाह बना है. किर्गीज़स्तान की राजधानी बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन के मंच पर एक बार फिर मौका होगा जब भारत और पाकिस्तान के पीएम रूबरू होंगे.
साल 2001 में बने इस संगठन में भारत और पाक बरसों तक पहले डायलॉग पार्टनर रहे और अब बीते दो सालों से पूर्ण सदस्य हैं. बीते एक दशक के दौरान कई बार भारत और पाक के प्रधानमंत्री एससीओ के मंच पर आमने सामने हुए. इन मुलाकातों के नतीजे कभी नरम तो कभी गरम भी नज़र आए.
SCO सम्मेलन में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान को सुनाई थी खरी-खोटी
नवम्बर 2008 में हुए मुंबई का आतंकी हमले का बाद भारत में चुनाव हुए और सत्ता में लौटी यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जून 209 में रूस के यख्तिरिनबर्ग में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री आसिफ अली ज़रदारी से मुलाकात हुई. उस वक्त पीएम मनमोहन सिंह ने आपने जनादेश का हवाला देते हुए दो टूक कहा था को मुझे मिला जनादेश आपको यही संदेश देने के लिए कहता है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी ज़मीन से चल रहे आतंकवाद को ख़त्म करे.
बहरहाल एससीओ के मंच पर मुलाकातों का क्रम भी कमोबेश चलता रहा और आतंकी घटनाओं के घावों का सिलसिला भी. इस फेहरिस्त में मुंबई से लेकर पुलवामा तक के आतंकी हमले जिद्द गए जिसने भारत को दहला भी और पलटवार को मजबूर भी किया.
SCO सम्मेलन में नवाज शरीफ से मिल चुके हैं पीएम मोदी
जुलाई 2015 में रूस के उफा शहर में वो एससीओ शिखर सम्मेलन का ही मंच था जहां पीएम नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पाक पीएम नवाज़ शरीफ़ की मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं के बीच छोटी मगर अहम मुलाकात ने रिश्तों की गाड़ी आगे बढ़ाने का रास्ता निकाला. मगर यह गाड़ी चल पाती इसके पहले ही पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में यह पटरी से उतर गई. जून 2017 में कजाखिस्तान के आस्ताना में एससीओ शिखर सम्मेलन के हाशिए पर भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात तो हुई मगर बात तबियत का हालचाल पूछने तक ही सिमट के रह गई.
आस्ताना की मुलाकात के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में चुनाव हुए. पाकिस्तान में जहां इमरान खान सत्ता में आए वहीं भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार की सरकार में वापसी हुई. मगर चुनाव और मोदी सरकार की वापसी के पहले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पाक प्रायोजित अतंकियोंन हमला किया जिसमें 40 से ज़्यादा सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए.
पुलवामा आतंकी हमले का बाद ही फरवरी 2019 में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर आतंकियों के ठिकाने को नष्ट किया. हाल में हुए लोकसभा चुनावों में जीत के बाद नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी में एक बड़ा योगदान इस एयर स्ट्राइक के फैसले का भी माना जा रहा है. लिहाज पाक के खिलाफ सख्त कार्रवाई पर जनादेश लेकर लौटी मोदी सरकार की तरफ से भारत-पाकिस्तान रिश्तों में किसी यूटर्न की उम्मीद धुंधली है. वहीं बिश्केक तक यात्रा के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल न कर के इस बारे में अपनी मंशा भी साफ कर दी है.
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