SCO Meeting In Goa: गोवा में आमने-सामने होंगे बिलावल भुट्टो और एस जयशंकर, क्या भारत-पाक के बीच हो सकती है कोई बात?
SCO Foreign Ministry Meeting: भारत के गोवा में 4-5 मई, 2023 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री परिषद (सीएफएम) की बैठक आयोजित की जा रही है. भारत इस वर्ष के लिए बैठक की अध्यक्षता कर रहा है.
SCO Foreign Ministry Meeting In Goa: 4 मई, गुरुवार से गोवा में शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी भारत करेगा. यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और पश्चिमी देशों में तनातनी है और चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं. इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे जिसमें चीन के विदेश मंत्री छिन कांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी आदि शामिल होंगे.
माना जा रहा है कि बैठक में अफगानिस्तान के सम्पूर्ण हालात पर भी चर्चा हो सकती है जिसमें उन चिंताओं पर भी विचार किया जा सकता है जिसमें कहा जा रहा है कि तालिबान के शासन में यह देश आतंकवाद का पोषण स्थल बन सकता है. इसके साथ ही तेजी से उभरती सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि, बैठक के दौरान इस बात पर खास नजर रहेगी कि एससीओ सम्मेलन से इतर जयशंकर और बिलावल के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होती है या नहीं?
इस साल भारत कर रहा SCO की बैठक की अध्यक्षता
भारत के गोवा में 4-5 मई, 2023 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री परिषद (सीएफएम) की बैठक आयोजित की जा रही है. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी. एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत इस वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता कर रहा है. भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थाई सदस्य बने थे. भारत एससीओ संगठन के देशों में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरा है. इस संगठन में चीन और रूस प्रमुख देश हैं. इस संगठन को नाटो के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है. ऐसे में एससीओ का सदस्य होते हुए भी भारत चार देशों के संगठन क्वाड का भी सदस्य है.
आतंकवाद और यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर हो सकती है चर्चा
क्वाड (QUAD) में भारत के अलावा अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं. रूस और चीन QUAD का मुखर रूप से विरोध करते रहे हैं. एससीओ बैठक की तैयारी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि संगठन में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के अलावा कारोबार, निवेश, सम्पर्क जैसे विषय प्रमुखता से सामने आएंगे. आतंकवाद की चुनौतियों के अलावा यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर भी चर्चा हो सकती है. भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी ऐसे समय में कर रहा है जब पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के कारण चीन के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं. सूत्रों ने बताया कि बैठक में विदेश मंत्री वर्तमान भू राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में क्षेत्र के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का प्रभाव चर्चा पर नहीं पड़ेगा.
2011 के बाद पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्च स्तरीय दौरा
सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री बैठक के अलावा रूस, चीन और कुछ अन्य सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ अलग द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं. पाकिस्तान ने पहले ही घोषणा की है कि उसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे. अगर बिलावल भारत आते हैं तो वर्ष 2011 के बाद इस स्तर पर किसी भी पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्च स्तरीय दौरा होगा. उस वर्ष पाकिस्तान की विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार भारत आई थीं. अभी हीना रब्बानी विदेश राज्य मंत्री हैं.
पिछले सप्ताह हुई थी SCO रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक
भारत ने पिछले सप्ताह एससीओ रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक की मेजबानी की थी. भारत, रूस, चीन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सदस्य देशों ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा की थी. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग नहीं लिया था और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रक्षा मामलों पर विशेष सहायक मलिक अहमद खान ने डिजिटल तरीके से इसमें भाग लिया था.
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