चिंगदाओ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति सुनिश्चित करने की बात कही. साथ ही दोनों नेताओं ने अगले साल भारत में अनौपचारिक वार्ता करने पर सहमति जताई. करीब छह सप्ताह पहले मोदी और जिनपिंग ने वुहान में अनौपचारिक मुलाकात की थी. करीब 50 मिनट हुई बैठक में दोनों नेताओं ने भारत और चीन के लोगों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने का निर्णय लिया.
यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर हुई और इसमें द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा हुई. बैठक में दोनों देशों द्वारा डोकलाम गतिरोध और कई अन्य मसलों से प्रभावित उनके संबंधों में विश्वास बहाल करने का संकल्प लिया गया. बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘इस साल के एससीओ के मेजबान राष्ट्रपति शी चिनफिंग से आज शाम मुलाकात हुई. हमने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की. हमारी बातचीत भारत-चीन मित्रता में नई शक्ति प्रदान करेगी.’’
वहीं शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और भारत ने वुहान बैठक में बनी आम सहमति को लागू करने के कुछ शुरूआती परिणामों का लाभ उठाया है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को क्रियान्वयन में तेजी लाने, रणनीतिक संवाद बनाए रखने, आर्थिक और व्यापार सहयोग बढ़ाने, लोगों के बीच आदान प्रदान बढाने और अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मामलों में समन्वय और सहयोग बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए.
अप्रैल में दोनों नेताओं ने की थी अनौपचारिक मुलाकात
शी ने शिखर सम्मेलन में पूर्ण सदस्य के तौर पर भारत की उपस्थिति का स्वागत किया और कहा कि चीनी पक्ष शंघाई भावना को आगे बढ़ाने और एससीओ के स्थिर विकास के लिए भारत और अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है. विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अगले साल अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. यह वैसी ही बैठक होगी जैसी वुहान में पिछले 27-28 अपैल को दोनों नेताओं के बीच हुई थी.
शी जिनपिंग ने वुहान बैठक को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक नया शुरूआत बिंदु बताया जबकि प्रधानमंत्री ने इसे संबंधों में मील का पत्थर बताया जो कि परस्पर समझ और विश्वास विकसित करने में सहायक होगा. शी ने कहा कि वुहान बैठक को दोनों देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी. एक सकारात्मक माहौल का निर्माण हो रहा है जो कि चीन-भारत संबंधों के विकास पर अधिक ध्यान देगा. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में एक संयुक्त परियोजना शुरू करने पर चर्चा की जो कि क्षमता निर्माण के दायरे में होगी.