मुंबईः रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी 'वगीर' का आज जलावतरण किया. खास बात यह है कि डीजल इलेक्ट्रिकल सबमरीन 'वगीर' एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो 'मेक इन इंडिया' के तहत तैयार की गई है. प्रोजेक्ट 75 के तहत भारत और फ्रांस के बीच हुए करार में 6 स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी का निर्माण का लक्ष्य है. जिसे मझगांव डॉक लिमिटेड बना रहा है.
इस सीरीज के 4 सबमरीन में से INS कलवरी, INS खंडेरी, नौसेना में सेवा दे रहे है. जब की 'करंज' और 'वेला' का ट्रायल चल रहा है. पांचवी सबमरीन वगीर के हिन्द महासागर में उतर जाने से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ गई है. जब कि छठी सबमरीन वगशीर का निर्माण कार्य शुरू है. साल 2022 तक सभी 6 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी को नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य है.
अपने आधुनिक फीचर्स और सटीक निशाने की क्षमता वाली स्कॉर्पीन पनडुब्बी 'वगीर' ' दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है. 'इसके साथ ही 'वगीर' ' टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है. युद्ध की स्थिति में वगीर पनडुब्बी हर तरह की अड़चनों से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है. यानी इसमें सतह पर पानी के अंदर से दुश्मन पर हमला करने की खासियत भी है. इस पनडुब्बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में ऑपरेट किया जा सकता है. यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है.
' वगीर' की क्या खूबी और खासियत है ?
- वगीर पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबा, 12.3 मीटर ऊंचा, 1565 टन वजनी है.
- स्पेशल स्टील से बनी सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अधिक गहराई में जाकर काम करने की क्षमता रखती है . लंबे समय तक पानी में रह सकती है वगीर पनडुब्बी.
- स्टील्थ टेक्नोलॉजी से यह रडार की पकड़ में नहीं आता . किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है .
- इसके साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती हैं. सबमरीन में वीपन लॉन्चिंग टयूब से सुसज्जित है . समुद्र के भीतर की हथियार लोड किए जा सकते है .
- इसमें मशीनरी सेट अप इस तरह किया गया है की लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप फिटिंग है. लगभग 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है .
- सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े है . सबमरीन में अन्य नोसेना के युद्धपोत से संचार करने की सभी सुविधाए मौजूद है .
- वगीर के भीतर 360 बैटरी सेल्स है . प्रत्येक बैटरी सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है . इसके भीतर दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन है .
- वगीर 45 दिनों के सफर पर जा सकता है . इन्ही बैटरियों के दम पर वगीर 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकता है .
- ये सबमरीन 350 मीटर तक कि गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है . इसके टॉप स्पीड की बात करे तो ये 22 नॉट्स यानी 40 किमी प्रति घंटा है .
क्यों दुनिया इस सबमरीन का लोहा मानती है ?
कलावरी क्लास की स्कॉर्पीन पनडुब्बी को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है. इसके भीतर एडवांस वेपन है जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है . जैसे सबसे ज़रूरी इसके पीछे के हिस्से में magnetised propulsion मोटर जिसकी तकनीक को फ्रांस से लिया गया है, इसकी वजह से इसके अंदर से आने वाली आवाज़ को बाहर नही आने दिया जाता है . इससे दुश्मन के खोजी हवाई जहाज हो या सबमरीन या वॉर वेसल्स को इसकी जानकारी ठीक से नही मिल पाती है, इससे वो सबमरीन को पकड़ में आये बिना हमला करना उचित होता है .
किन हथियारों से लैश है स्कॉर्पीन पनडुब्बी ?
इस सीरीज के स्कॉर्पीन पनडुब्बी दो पेरिस्कोप से लैस है .
इस सीरीज के स्कॉर्पीन पनडुब्बी के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात की जाए तो इस पर 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गयी है, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है . 6 ट्यूब्स के अलावा इसमे एक वक्त में या तो अधिकतम 12
टोरपीडोस लग सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39, इसके साथ ही माइंस भी ये सबमरीन बिछा सकती है . पनडुब्बी में कितने टॉरपीडो , कितने मिसाइल ले जाने है यह इसपर निर्भर करता है कि वो कौन से मिशन पर जाने वाला है . सबमरीन में लगे हथियार और सेंसर हाई टेक्नोलॉजी कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े है . सबमरीन में अन्य नोसेना के युद्धपोत से संचार करने की सभी सुविधाए मौजूद है .
'वगीर' नाम क्यों ?
भारतीय नोसेना की परंपरा रही है कि जिन युद्धपोतों और पनडुब्बियों को सेवा निवृत्त किया जा चुका है उनके नाम नए नेवल शिप को दिया जाता है . INS वगीर' सबमरीन को 3
दिसंबर 1973 को भारतीय नोसेना में शामिल किया गया था और 28 साल की सेवा के बाद 7 जून 2001 में सेवानिवृत्त हुआ . एक बार सेवा निवृत्त हो चुके सबमरीन वगीर को नई पहचान मिल रही है. वगीर नाम , अरब सागर की तलहटी में पाई जाने वाली रेतीली मछली से लिया गया है जिसे एक आक्रामक मछली माना जाता है. यह मछली आसानी से नज़र नही आती और इसका निशाना अचूक होता है.
समुद्र में जलावतरण के बाद प्रेसर टेस्टिंग और अन्य मशीनरी , हथियारों की टेस्टिंग होगी . 1 साल बाद वगीर को नोसेना में शामिल किया जाएगा तब इसकी पहचान INS वगीर नाम से होगी.
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