एम्स दिल्ली कोवैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए बच्चों की स्क्रीनिंग आज से शुरू करने जा रहा है. इससे कुछ दिन पहले एम्स पटना में भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद बाल चिकित्सा परीक्षण शुरू हो चुका है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 11 मई को वैक्सीन का बच्चों पर मानव परीक्षण करने की मंजूरी दी थी.


एम्स दिल्ली में आज से बच्चों की स्क्रीनिंग शुरू 


एम्स दिल्ली कोवैक्सीन का मानव परीक्षण ये जांचने के लिए करने जा रहा है कि क्या ये 2-18 साल की उम्र के बीच बच्चों के लिए उपयुक्त है. विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर वायरस के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण नहीं कराया गया, तो कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर दूसरी लहर जैसी तबाही ला सकती है और बच्चे उसका मुख्य निशाना हो सकते हैं.


भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन घरेलू कोविड-19 की वैक्सीन है. उसका इस्तेमाल भारत के जारी टीकाकरण अभियान में व्यस्कों पर किया जा रहा है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा था कि कोवैक्सीन की मंजूरी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से 2-18 साल के समूह पर दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण करने के लिए मिल गई है.


प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय के मुताबिक अब तक परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए दस गुना ज्यादा वॉलेटिंयर्स के आवेदन से उत्साह का पता चलता है. मानव परीक्षण में शामिल बच्चों को तीन ग्रुप में बांटा गया है. पहला ग्रुप है 12 से 18 साल, इस ग्रुप में शामिल वॉलेंटियर्स को 6mg की डोज डोज दी जाएगी. उसके बाद 6 से 12 साल, फिर 2 से 6 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन के परीक्षण में शामिल किया जाएगा और बच्चों का परीक्षण भी बड़ों जैसा होगा.


पहली डोज और दूसरी डोज के बीच 28 दिनों का अंतराल रखा गया है. परीक्षण से पहले वॉलेंटियर्स का एंटीबाडी टेस्ट किया जाएगा और वैक्सीन लगने के बाद उनको निगरानी में रखा जाएगा. भारत में अलग अलग केंद्रों के 525 बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण ट्रायल होना है.  जनवरी के पहले हफ्ते में कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी. अब भारत में चल रहे टीकाकरण अभियान का ये हिस्सा है. दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण में करीब 50 बच्चों को शामिल किया जाना था, लेकिन इसके लिए दस गुना ज्यादा आवेदन आया है. 


कोवैक्सीन का मानव परीक्षण करने की कवायद 


भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान इस साल चरणबद्ध तरीके से 16 जनवरी को शुरू हुआ. अभियान के पहले चरण में हेल्थकेयर वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई. फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण 2 फरवरी को शुरू हुआ. 1 मार्च को टीकाकरण के अगले चरण में चिह्नित बीमारी वाले 45-60 वर्ष के लोगों को शामिल किया गया. 1 मई को टीकाकरण का तीसरा चरण 18-44 की उम्र के बीच लाभुकों के लिए शुरू हुआ.


भारत के पास वर्तमान में कोविड-19 के खिलाफ तीन कोविड-19 वैक्सीन हैं. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और रूस की स्पुतनिक-V. कोरोना वायरस के खिलाफ दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का निर्माण भारत में हो रहा है.


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