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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST के प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ किया, आरक्षण के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी नहीं
SC/ST आरक्षण: एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने के कानून को कोर्ट ने सही ठहराया था, लेकिन कहा था कि इस तरह का आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे. लेकिन आज के ताजा फैसले में आंकड़े जुटाने की बाध्यता खत्म कर दी गई है
नई दिल्ली: एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में नागराज बनाम भारत सरकार के फैसले को बरकरार रखा और इस मामले में आए फैसले पर दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया है. लेकिन अदालत ने फैसले के कुछ हिस्से में बदलाव कर दिया है, जिससे प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के नागराज फैसले में बदलाव करते हुए उसमें आरक्षण के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी नहीं रखा है.
दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नागराज फैसले को चुनौती दी गई थी, लेकिन आज संविधान पीठ ने नागराज फैसले को पूरी तरह से रद्द नहीं किया. हालांकि, अदालत ने कुछ बदलाव किए, जिससे ये साफ होता है कि एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है.
आपको बता दें कि एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने के कानून को कोर्ट ने सही ठहराया था, लेकिन कहा था कि इस तरह का आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे. लेकिन आज के ताजा फैसले में आंकड़े जुटाने की बाध्यता खत्म कर दी गई है. इसके साथ ही पिछड़ेपन का मुद्दा खत्म कर दिया गया है.
आपको बता दें कि इस वक्त केंद्र की सरकार नौकरी में अनुसूचित जाति की संख्या 17.55 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 8.37 फीसद है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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