Defence News: हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच अगले हफ्ते से भारतीय नौसेना (India Navy) का चार दिवसीय नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (Naval Commanders Conference) शुरू होने जा रहा है. ये सम्मलेन ऐसे समय में होने जा रहा है जब अमेरिका (USA) ने अपनी सालाना डिफेंस स्ट्रेटेजी पेपर में हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific Ocean) क्षेत्र से लेकर एलएसी (LAC) पर चीन की बढ़ती दादागिरी पर चिंता जाहिर की.


भारतीय नौसेना के मुताबिक, मंगलवार से राजधानी दिल्ली में शुरू होने जा रही नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (31 अक्टूबर- 3 नवंबर) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार सहित सभी वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे. इसके अलावा नौसेना की ऑपरेशन्ल तैयारियों, लॉजिस्टिक और मानव-संसाधनों जैसे विषयों पर भी विस्तार से बातचीत करेंगे.


कैसे मनाया जा रहा है ये सम्मलेन?
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हिंद महासागर क्षेत्र और दुनिया के दूसरे हिस्सों में तेजी से बदल रहे परिदृश्य में ये सम्मलेन बेहद अहम हो जाता है. क्योंकि नौसेना इस वक्त कॉम्बेट-रेडी यानी युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने वाली एक सशक्त और विश्वसनीय फोर्स के तौर पर अपने को तैयार कर रही है.


चीन की दादागिरी पर यूएस की चिंता?
आपको बता दें कि शुक्रवार को ही अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने नेशनल डिफेंस स्ट्रेटेजी-2022 जारी करते हुए इंडो-पैसेफिक रीजन से लेकर भारत की लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) तक पर चीन की बढ़ती दादागिरी से पूरी दुनिया को आगाह किया है. अमेरिका के इस 80 पेज की सैन्य रणनीति में साफ तौर से चीन को रूस की तरह एक बड़ी चुनौती बताया है. इस डॉक्यूमेंट पेपर में कहा गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रमण को रोकना और उस पर काबू पाना अमेरिकी की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.


यूएस ने किसको बताया खतरा?
अमेरिका ने रूस को तो खतरा बताया ही है लेकिन साफ तौर से कह दिया है कि यूएस की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे व्यापक और गंभीर चुनौती है. चीन का हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को अपने हितों और सत्तावादी प्राथमिकताओं के अनुरूप नया रूप देने के लिए जबरदस्त और तेजी से आक्रामण का प्रयास किया.


ताइवान के खिलाफ चीन (China) की कारवाई को अमेरिका ने एलएसी (LAC) पर भारत के साथ सीमा विवाद और ईस्ट और साउथ चाईना सी (South China Sea) में आक्रामक रवैये से जुड़ा हुआ बताया है. अमेरिका ने अपनी सैन्य रणनीति में कहा कि वह अपने मित्र देशों के खिलाफ होने वाली आक्रमक कारवाई का विरोध करेगा.


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