(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Karnataka HC: 'गैरकानूनी है शादी, पति पर धारा 498A के तहत शिकायत नहीं कर सकती दूसरी बीवी', कर्नाटक HC का फैसला
Karnataka HC News: एक महिला ने आरोप लगाया कि कंथाराजू और वह 5 साल साथ रहे और उनका एक बेटा भी है, लेकिन शादी के कुछ साल बाद वह पैरालाइज्ड हो गई और कंथाराजू ने उसको परेशान करना शुरू कर दिया.
Karnataka HC on Second Wife: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरी बीवी पति और अपने ससुराल वालों पर आईपीसी की धारा 498ए यानी क्रूरता की शिकायत नहीं कर सकती. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को बरी करते हुए निचली अदालत के फैसले को भी गलत ठहराया और कहा कि इस तरह की शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है.
जस्टिस एस रचैया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला को साबित करना होगा कि उसकी शादी कानूनी है और वह उसकी विवाहित पत्नी है. सबूतों को देखने से लगता है कि शिकायत करने वाली महिला आरोपी की दूसरी पत्नी है इसलिए आईपीसी की धारा 498ए यानी विवाहित महिला के साथ क्रूरता के तहत दोषसिद्धी रद्द की जाती है क्योंकि इनकी शादी कानूनी नहीं है.
क्या है पूरा मामला?
एक महिला ने कर्नाटक के रहने वाले कंथाराजू को अपना पति बताते हुए आरोप लगाया कि वह 5 साल साथ रहे और उनका एक बेटा भी है, लेकिन शादी के कुछ साल बाद वह पैरालाइज्ड हो गई और कंथाराजू ने उसको परेशान करना शुरू कर दिया. शिकायत में उसको यातनाएं देने और क्रूरता करने का भी आरोप लगाया गया. इसके अलावा, घर से बाहर निकालने और आग में जलाने की भी धमकी दी.
इसके बाद, ट्रायल कोर्ट ने कंथाराजू को दोषी ठहराया और साल 2019 में सेशन कोर्ट ने उसको सजा सुना दी. कंथाराजू ने कोर्ट के इस फैसले को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों और सबूतों को सुनने के बाद कहा कि दूसरी बीवी पति और ससुराल वालों पर क्रूरता के लिए धारा 498ए का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि निचली अदालत ने फैसले में गलती की है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी किया जिक्र
जस्टिस ने शिवचरण लाल वर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से साफ है कि अगर पति और पत्नी के बीच विवाह अमान्य और शून्य रूप में समाप्त हो गया है तो आईपीसी की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं बनता है.
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