(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आज दोपहर तक अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे राफेल लड़ाकू विमान, आसपास के इलाके में धारा 144 लागू
एक क्लोज-डोर सेरेमनी में राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल कराया जाएगा. मीडिया को भी इस समारोह में शामिल होने की इजाजत नहीं है.
नई दिल्ली: चीन से चल रही तनातनी के बीच, राफेल लड़ाकू विमान आज दोपहर तक अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे. लेकिन वायुसेना के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन ने अंबाला एयरबेस के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी है ताकि असमाजिक-तत्व और मीडिया राफेल लड़ाकू विमानों की तस्वीरें ना ले सकें और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा ना हो.
जानकारी के मुताबिक दोपहर 1 से 3 बजे किसी समय राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस पर पहुंचेगा. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया इस मौके पर खुद वहां राफेल विमानों की आगवानी के लिए मौजूद रहेंगे. एक क्लोज-डोर सेरेमनी में राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल कराया जाएगा. मीडिया को भी इस समारोह में शामिल होने की इजाजत नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, लेकिन राफेल लड़ाकू विमानों के अंबाला बेस पर पहुंचने की तस्वीरें और वीडियो को वायुसेना ही आधिकारिक तौर से मीडिया को देगा. अगस्त महीने में मीडिया के लिए अंबाला एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों को प्रदर्शित किया जाएगा.
वायुसेना प्रमुख के नाम पर राफेल विमानों की नंबरिंग
वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया के नाम पर ही राफेल विमानों की नंबरिंग 'आरबी' से की गई है. क्योंकि वर्ष 2016 में वायुसेना के डिप्टी-चीफ (उप-प्रमुख) होने के नाते वे राफेल सौदे के लिए भारत और फ्रांस की साझा नेगोशिएशन-कमेटी के अध्यक्ष थे और करार में एक अहम भूमिका निभाई थी. इसीलिए राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ ने उनके नाम के इनीशयल पर ही राफेल की नंबरिंग की है. पिछले साल जुलाई के महीने में भारत और फ्रांस की वायुसेनाओं के बीच हुई गरूण एक्सरसाइज में खुद आर के एस भदौरिया ने फ्रांस के मोंट द मारसन एयरबेस पर राफेल में उड़ान भरी थी. उस वक्त उन्होनें मोंट द मारसन एयरबेस पर एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा था कि राफेल विमानों के भारत में आने से चीन और पाकिस्तान में जरूर खलबली मच जाएगी.
आपको बता दें कि अंबाला एक सामरिक महत्व का मिलिट्री बेस है जहां पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हैं. इसके अलावा वायुसेना की मिग21 'बाइसन' और जगुआर फाइटर जेट्स की भी स्कॉवड्र्न यहां तैनात हैं. इसके अलावा थलसेना की खड़गा स्ट्राइक कोर (2 कोर) का हेडक्वार्टर भी अंबाला एयरबेस के बेहद करीब है. इसीलिए ये बेहद संवेदनशील क्षेत्र है जिसपर दुश्मन की नजर रहती है.
अंबाला का सामरिक महत्व और अधिक बढ़ गया
राफेल विमानों के तैनात होने से अंबाला का सामरिक महत्व और अधिक बढ़ गया है. क्योंकि राफेल एक ओमनी-रोल फाइटर जेट है जो एयर-सुप्रेमैसी यानि हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ डीप-पैनेट्रेशन यानि दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है. यानि राफेल जब आसमान में उड़ता है तो कई सौ किलोमीटर तक दुश्मन का कोई भी विमान, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन पास नहीं फटक सकता है. साथ ही वो दुश्मन की जमीन में अंदर तक दाखिल होकर बमबारी कर तबाही मचा सकता है. ये एक साथ कई मिसाइलों को दुश्मन के टारगेट पर लॉक कर सकता है. इसलिए, ये एक मल्टी रोल लड़ाकू विमान से भी कहीं अधिक एडवांस है.
राफेल के अंबाला में आने की वायुसेना ने की पूरी तैयारी
राफेल के अंबाला में आने की वायुसेना ने पूरी तैयारी कर ली है. इसके लिए राफेल बनाने वाली फ्रांस की कंपनी, दसॉ ने 227 करोड़ रूपये की लागत से बेस में मूलभूत सुविधाएं तैयार की हैं. जिसमें विमानों के लिए रनवे, पाक्रिंग के लिए हैंगर और ट्रैनिंग के लिए सिम्युलेटर शामिल है.
राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने 29 जुलाई यानि बुधवार को अंबाला एयरबेस और आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी है ताकि असमाजिक तत्व राफेल की इंडक्शन समारोह या एयरबेस की किसी भी तरह की फोटो खींच ना लें. ये धारा मीडिया पर भी समान तौर से लागू होगी. दरअसल, एयरबेस के पास ही नेशनल हाईवे-वन ए (एनएच 1-ए) गुजरता है और आसपास चार-पांच गांव हैं जहां के घरों से रनवे से लेकर हैंगर तक साफ दिखाई पड़ता है. यही वजह है प्रशासन नें वायुसेना के अनुरोध पर कानूनी रोक लगाई है तस्वीरें लेने के लिए (हालांकि जिला प्रशासन ने जो नोटिस निकाला है उसमें त्रुटि है. नोटिस में 29 जुलाई की शाम ढलने से तड़के के लिए रोक लगाई गई है, तड़के से शाम ढलने के बजाए).
जगह-जगह सड़कों पर राफेल के पोस्टर लगे
लेकिन राफेल के अंबाला आने से स्थानीय लोगों सहित राजनैतिक पार्टियों में भी उत्सुकता है. बीजेपी के स्थानीय प्रतिनिधी और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं की तस्वीरों और नारों के साथ जगह-जगह सड़कों पर राफेल के पोस्टर लगा दिए हैं. इन पोस्टर पर लिखा है, "राफेल का अंबाला की वीर भूमि पर स्वागत है." साथ ही लिखा है "देश की रक्षा का फर्ज निभाया, भारतीयों का मान-सम्मान बढ़ाया."
1965 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में अंबाला एक बड़ा गवाह बना था. दरअसल, उस वक्त वायुसेना के बड़े अधिकारी इस एयरबेस में बने एक चर्च में गोपनीय मीटिंग कर रहे थे, इसकी भनक पाकिस्तानी वायुसेना को लग गई. पाकिस्तानी वायुसेना ने इस चर्च पर बमबारी करने का प्लान बनाया. लेकिन इससे पहले की बमबारी हो पाती भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान की साजिश पता चल गई और सभी वरिष्ठ कमांडर चर्च से किसी और लोकेशन पर चले गए. ऐसे में पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने चर्च पर बमबारी की और उसे तबाह तो कर दिया लेकिन वायुसेना को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. खंडहर हालात में ये चर्च आज भी अंबाला एयरबेस में मौजूद है.
इस बीच खबर है कि जिस यूएई के अल-दफ्रा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमान बुधवार को अंबाला एयरबेस से उड़ान भरेंगे, उस बेस के करीब मंगलवार को दो ईरानी मिसाइल गिरने से सनसनी फैल गई. हालांकि, कुछ नुकसान होने की खबर नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि ईरान की सेना एक युद्धभ्यास कर रही थी, उसी की ये मिसाइलें अल दफ्रा एयरबेस के करीब आकर गिरी. आपको बता दें कि अल दफ्रा में यूएई और फ्रांसीसी सेना के साथ अमेरिकी सेना का बेस भी है, और ईरान और अमेरिकी की दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. इन मिसाइलों को भी इसी दुश्मनी से जोड़कर देखा जा रहा है.