एक्सप्लोरर
Advertisement
कोरोना ड्यूटी पर जान गंवाने वाले जवानों को मिलेगा शहीद का दर्जा, परिवार को 15 लाख देगी सरकार
सरकार उन जवानों की लिस्ट बना रही है जिन्होंने कोरोना ड्यूटी पर अपनी जान गंवा दी. इसके साथ ही सरकार उन शहीद जवानों के परिवार वालों के बैंक खाते और बाकी जानकारी भी जुटा रही है.
नई दिल्ली: कोरोना ड्यूटी पर जान गंवाने वाले सैनिकों को सरकार शहीद का दर्जा देगी, इसके साथ ही उनके परिवार को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी की जाएगी. हिन्दी दैनिक अखबार हिंदुस्तान के मुताबिक सुरक्षाबलों ने ने सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव पर सरकार ने प्राथमिकता देते हुए मुहर लगा दी है.
इस प्रक्रिया के तहत अब सरकार उन जवानों की लिस्ट बना रही है जिन्होंने कोरोना ड्यूटी पर अपनी जान गंवा दी. इसके साथ ही सरकार उन शहीद जवानों के परिवार वालों के बैंक खाते और बाकी जानकारी भी जुटा रही है. इससे सहायता राशि सीधे उनके खाते में भेजी जा सके.
शहीद जवानों को परिवार को यह आर्थिक मदद 'भारत के वीर' फंड से की जाएगी. इस फंड की स्थापना साल 2017 में गृह मंत्रालय के द्वारा की गई थी. इसके लिए सरकार ने एक वेब पोर्टल बनाया था, जिसके जरिए कोई भी शख्स इस फंड में दान दे सकता है. इसी पोर्टल पर शहीद होने वाले जवानों की जानकारी भी मिल सकेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में भारत के वीर फंड में 6 करोड़ 40 लाख रुपये थे. साल 2018 में यह राशि बढ़कर 19.43 करोड़ हो गई. साल 2019 पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद शहीद जवानों के परिवार के लिए बना बढ़कर 250 करोड़ पर पहुंच गया.
सुरक्षाबलों के करीब 8,000 जवान अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 4,500 के करीब ठीक हो चुके हैं. सुरक्षाबलों में कोरोना एक्टिव जवानों की संख्या 3,562 है. अब तक 39 इस जानलेवा वायरस के हाथों शहीद हो चुके हैं. इनमें 15 सीआरपीएफ के जवान, 10 बीएसएफ, 9 सीआईएसएफ, तीन आईटीबीपी और दो सीमा सुरक्षा बल के जवान शामिल हैं.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
IPL Auction 2025
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
विश्व
जम्मू और कश्मीर
बॉलीवुड
यूटिलिटी
Advertisement
कमर आगाअंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
Opinion