श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के तीन साल पूरे होने पर घाटी में रविवार को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई. बुरहान दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई 2016 को मारा गया था.


बुरहान की मौत के बाद घाटी भर में व्यापक प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में चार माह से अधिक समय में 85 लोग मारे गए थे. अधिकारियों ने बताया कि ऐहतियात के तौर पर दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है.


पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया कि बरसी का दिन शांतिपूर्वक निकल जाए इसके लिए सारे उपाए किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा.


इस बीच पुलिस के एक प्रवक्ता के बताया कि श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग से सोमवार को सुरक्षा बलों के काफिले को गुजरने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने हालांकि इसका कोई कारण नहीं बताया लेकिन माना जा रहा है कि बुरहान की बरसी के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है.


कौन था बुरहान वानी


बुरहान मुजफ्फर वानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था. वानी कश्मीर में त्राल के संपन्न परिवार से था. इसके पिता स्कूल प्रिन्सिपल थे. वानी 15 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया था और आतंकवादी बन गया था, वानी का बड़ा भाई खालिद मुजफ्फर भी आतंकवादी था जो पिछले साल सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया था. 8 जुलाई 2016 को शाम 4 बजे शुरु हुआ सेना का ऑपरेशान 15 मिनट तक चला जिसमें सेना ने वानी को मार गिराया था.


वानी के एनकाउंटर को लेकर कई तरह की खबरें सामने आई. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक वानी की कथित गर्लफ्रेंड ने उसका पता सेना को दिया जिससे सेना उस तक पहुंच सकी. इस एनकाउंटर के बाद कश्मीर में हिंसा बढ़ गई थी.


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