हमेशा से विवादों में रहे राजद्रोह कानून को लेकर जारी बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. साथ ही आदेश देते हुए कहा कि, जब तक राजद्रोह पर पुनर्विचार नहीं किया जाता है तब तक इसके तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. इसके बाद विपक्ष एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया, साथ ही सरकार की तरफ से भी जवाब दिया गया. 10 बड़ी बातों में जानिए राजद्रोह मामले को लेकर आज क्या-क्या हुआ.
- राजद्रोह कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं. जिन पर लगातार सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा गया कि, राजद्रोह कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है. लेकिन कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना बयान स्पष्ट करने का वक्त दिया.
- सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई से ठीक पहले केंद्र सरकार की तरफ से दूसरा हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें सरकार ने कहा कि वो राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार और जांच के लिए तैयार है. साथ ही कोर्ट से कहा गया कि जब तक जांच होती है, तब तक कोर्ट इसे ना उठाए.
- केंद्र के हलफनामे के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ-साफ कहा कि राजद्रोह कानून में बदलाव जरूरी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए. आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी.
- वहीं राजद्रोह के लंबित मामलों के संबंध में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शीघ्रता से की जा सकती है. अब कानून के प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई होगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि जब तक कानून के उक्त प्रावधान पर फिर से विचार नहीं किया जाता है, तब तक केंद्र और राज्य नई प्राथमिकियां दर्ज करने, भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत कोई जांच करने या कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से बचेंगे.’’
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की विपक्ष ने जमकर तारीफ की. साथ ही केंद्र सरकार पर हमला भी बोला. कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता. पार्टी ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह भी साबित हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का जो वादा किया था वह सही रास्ता था.
- इस मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि, ‘‘सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं. सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं. सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है. डरिए मत!’’
- वाम दलों ने भी इस फैसले को लेकर खुशी जताई. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ‘‘माकपा ने हमेशा राजद्रोह कानून का विरोध किया है और इसे अंग्रेजों द्वारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के दमन के लिए लाया गया दोषपूर्ण कानून कहा है. स्वतंत्र भारत में कानून की किताबों में इसकी कोई जगह नहीं है. अच्छी बात है कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस प्रावधान पर रोक रहेगी.
- इस मामले पर केंद्र सरकार की तरफ से भी जवाब आया. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत तमाम संस्थानों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं. अदालत को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए. इसी तरह सरकार को भी अदालत का सम्मान करना चाहिए.
- केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने राहुल गांधी के ट्वीट का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा, ''अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह कांग्रेस है. यह पार्टी हमेशा भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और भारत को विभाजित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है. यूपीए सरकार का देशद्रोह के मामले दर्ज करने का सबसे खराब ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.''
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