Sedition Law Repealed: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (11 अगस्त) को भारत में आपराधिक कानूनों को पूरी तरह से बदलने के लिए तीन बिल पेश किए हैं. इनके जरिए देश से राजद्रोह कानून (Sedition Law) खत्म किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक सरकार ने औपनिवेशिक दौर से चले रहे देशद्रोह कानून को भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 से बदलने का प्रावधान भी पेश किया है. बिल पेश करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, न कि सजा देना. उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा.उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा और उन्हें मजबूत करना था.

  


नए कानून में राजद्रोह की सजा बदल दी गई है. नए बिल से राजद्रोह नाम हटा दिया गया है. हालांकि, धारा 150 के तहत कुछ प्रावधान में बदलाव करके उन्हें बरकरार रखा गया है. इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की मदद से वित्तीय साधनों को जोड़ा गया है.


सबूत जुटाएगी फॉरेंसिक टीम 
धारा 150 के तहत राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या 3 साल की सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास या 7 साल की सजा कर दिया गया है. इतना ही नहीं जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.   


अदालतों को किया जाएगा कंप्यूटराइज्ड
अदातल में होने वाली सुनवाई की वीडियो कांफ्रेंसिंग हो सके, इसके लिए 2027 से पहले देश की सभी अदालतों को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा. नए कानून के मुताबिक अगर कोई शख्स इस तरह के केस में गिरफ्तार जाता है तो उसके परिवार को सूचना दी जाएगी. इसके अलावा मामले की जांच के लिए अलग से एक पुलिस अफसर को नियुक्त किया जाएगा.


जल्द होगा फैसला
नए कानून के मुताबिक 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इसके तहत ऐसे मामलों में चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश अपना फैसला देंगे. वहीं, अगर केस सरकारी कर्मचारी के खिलाफ है तो 12 दिनों में उसके खिलाफ केस चलाया जाएगा. इसके अलावा दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश अब पुलिस की जगह कोर्ट देगी.


क्या है राजद्रोह कानून?
बता दें कि राजद्रोह कानून जिसे आईपीसी की धारा 124ए के नाम से जाना जाता है, उसके मुताबिक अगर कोई शख्स शब्दों, संकेतों के माध्यम से घृणा या फैलाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है. इसके अलावा दोषी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.


धारा में लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर अपने शब्दों, संकेतों, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों के उपयोग करके भीड़ को उत्तेजित करता है या लोगों को उत्तेजित करने का प्रयास करता है तो उसे दंडित किया जा सकता है.  


इसके अलावा अगर कोई शख्स अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियाों के जरिए भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालनता है या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ उस पर जुर्नमाना भी लग सकता है.


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