Sedition Law: ‘लक्ष्मण रेखा का…,’ राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के ‘स्टे’ के बाद बोली मोदी सरकार
Sedition Law: राजद्रोह कानून पर SC के आदेश के बाद केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों और मौजूदा कानूनों का सम्मान हो.
Supreme Court On Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बुधवार को राजद्रोह कानून यानी आईपीसी की धारा 124ए के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एतिहासिक आदेश दिया गया. कोर्ट ने इसकी पूरी तरह समीक्षा करने तक केन्द्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे राजद्रोह के तहत नए केस दर्ज न करें. इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि वे लोग भी जमानत के लिए आ सकते हैं, जिनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है.
राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन ने रिजिजू अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों और मौजूदा कानूनों का सम्मान हो.
'भारतीय संविधान और मौजूदा कानून का हो सम्मान'
किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि हमने अपनी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है. इसके साथ ही , प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के बारे में भी कोर्ट को बता दिया है. हम कोर्ट और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक लक्ष्ण रेखा (लाइन) है, जिसे सभी अंगों द्वारा अक्षरश: और भावना में सम्मान किया जाना चाहिए.
We've made our positions very clear & also informed the court about intention of our PM. We respect the court & its independence. But there's a 'Lakshman Rekha' (line) that must be respected by all organs of the state in letter & spirit:Law Min Kiren Rijiju on SC staying sedition pic.twitter.com/Z4vR0FUmvt
— ANI (@ANI) May 11, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान साफतौर पर कहा कि केन्द्र सरकार इस पर दोबारा विचार करे और जब तक इस पर पुनर्विचार नहीं हो जाता है तब तक राजद्रोह कानून के तहत राज्य और केन्द्र सरकार इस धारा के तहत कोई नया केस दर्ज नहीं करे. इसके साथ ही, जिन लोगों पर राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं वे जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा- केन्द्र सरकार इस कानून पर विचार करेगी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. अटॉर्नी जनरल ने भी ये बातें कही थी कि हनुमान चालीसा केस में राजद्रोह की धारा लगाई गई थी. ऐसे में जब तक इसकी समीक्षा नहीं की जाती है, इस धारा के तहत केस दर्ज करना उचित नहीं होगा.
सीजेआई ने कहा, यह सही होगा कि रिव्यू होने तक कानून के इस प्रावधान का इस्तेमाल न करें. हमें उम्मीद है कि केंद्र और राज्य 124 ए के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे या रिव्यू खत्म होने के बाद कार्यवाही शुरू करेंगे. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. अटॉर्नी जनरल ने हनुमान चालीसा मामले में दायर देशद्रोह के आरोप का भी जिक्र किया था.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया है कि आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह आरोप) के तहत भविष्य में एफआईआर एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अफसर की जांच के बाद ही दर्ज की जाए. लंबित मामलों पर, अदालतों को जमानत पर जल्द विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है. वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "पूरे भारत में देशद्रोह के 800 से अधिक मामले दर्ज हैं. 13,000 लोग जेल में हैं."