नई दिल्ली: दिल्ली के मुहाने पर मौजूद किसान आंदोलन के नौवें दिन आज दिल्ली की बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था पहले की तुलना में कहीं ज्यादा अलग नजर आई. इसकी वजह यह है कि अभी तक जहां दिल्ली पुलिस को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी अब दिल्ली पुलिस की जगह ले ली है आरएएफ यानी रैपिड एक्शन फोर्स ने और रैपिड एक्शन फोर्स ने अपने हिसाब से बढ़ा दिए हैं सुरक्षा के इंतजाम भी.


दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के शुरुआती 8 दिनों के दौरान जहां दिल्ली पुलिस ने मुख्य तौर पर मोर्चा संभाला हुआ था तो नौंवे दिन की सुबह से ही दिल्ली पुलिस की जगह रैपिड एक्शन फोर्स तैनात कर दी गई. ऐसा नहीं है कि दिल्ली पुलिस को पूरी तरह तो वहां से हटा दिया गया लेकिन प्रमुख तौर पर अब दिल्ली पुलिस पीछे नजर आ रही है और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान आगे.


टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलते ही रैपिड एक्शन फोर्स ने अलग से बैरिकेड बनाने भी शुरू कर दिए. ये बैरिकेड दिल्ली पुलिस द्वारा तैयार किए गए बैरिकेड से अलग थे. ये बैरिकेड दिल्ली पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाले लोहे वाले बैरिकेड से अलग सीमेंट के बड़े-बड़े कंक्रीट ब्लॉक को रोड के बीचो बीच रखकर तैयार किए गए हैं. इसकी वजह यह है कि किसान जब दिल्ली में दाखिल हो रहे थे तो उस दौरान जब हरियाणा सरकार ने उनको रोकने की कोशिश की थी और इस तरह से लोहे वाले बैरिकेड हरियाणा पुलिस ने लगाए थे तो किसानों ने उन बैरिकेडस को ट्रैक्टरों और ट्रकों के सहारे पूरी तरह से रास्ते से आसानी से हटा दिया था. उसी को ध्यान में रखते हुए रैपिड एक्शन फोर्स ने कंक्रीट ब्लॉक को सड़क पर क्रेन की मदद से उतारकर एक मजबूत बैरिकेडिंग की व्यवस्था की है.


प्रशासन के द्वारा रैपिड एक्शन फोर्स को लगाने की एक वजह यह भी मानी जा सकती है क्योंकि पिछले 4 दिनों के दौरान दो बार किसानों की सरकार के साथ बातचीत सफल नहीं हो सकी है. वहीं बीच-बीच में कुछ किसान संगठन इस तरीके से नारेबाजी करते रहे हैं कि अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो दिल्ली के अंदर दाखिल होंगे. इस आशंका को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की जिम्मेदारी आरएएफ को दी है. आरएएफ ने अपनी तरफ से ये इंतजाम कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि अगर कुछ एक आंदोलनकारी जबरन दिल्ली की सीमा में दाखिल होने की कोशिश करें तो उनको रोका जा सके.