ओडिशा के गंजम जिले के रहने वाले सीमांचल महापात्रा लगभग चार दशकों तक अपने घर से दूर रहने के बाद वापस पहुंचे हैं. दरअसल 1970 के दशक में काम की तलाश में अपने शहर से मुंबई के लिए निकले महापात्रा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर पहुंच गए थे. जिसके बाद से वह लापता हो गए थे. अब बुरहानपुर शहर में रोटी बैंक नाम का एनजीओ चलाने वाले संजय शिंदे और कटक के व्यवसायी कमल राठी की मदद से वह वापस अपने घर पहुंचे हैं.
40 साल बाद घर वापस लौटा शख्स
हालांकि 40 साल के लंबे समय अंतराल के बाद घर वापस पहुंचे महापात्रा के लिए सबकुछ बदल गया है. शादी के दो साल बाद घर से निकले महापात्रा जब इतने सालों बाद घर पहुंचे तो अनकी पत्नी और बेटी की मौत पहले हो चुकी है. फिलहाल परिवार में हर कोई और उसके बचपन के दोस्त खुश हैं.
महापात्रा के भतीजे ध्रुबा चरण राणा का कहना है कि जब उनके चाचा लंबे समय तक घर नहीं लौटे तो परिवार ने असम से मुंबई तक उनकी तलाश की थी. उनका कहना है कि किसी ने उनसे भुवनेश्वर या कटक में भी उनके चाचा को देखे जाने की बात कही, जिसके बाद वहां भी उनकी तलाश की गई. राणा का कहना है कि 'हमने हर जगह खोजा, लेकिन कुछ साल बाद उनकी तलाश करना बंद कर दिया.'
बुरहानपुर शहर के रोटी बैंक एनजीओ के संजय शिंदे ने की मदद
बताया जा रहा है कि अगर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर में रोटी बैंक नाम का एनजीओ चलाने वाले संजय शिंदे और कटक के व्यवसायी कमल राठी ने मदद नहीं की होती तो शायद महापात्र कभी घर नहीं आ पाते. दरअसल काम की तलाश में मुंबई पहुंचे महापात्रा ने एक सिविल ठेकेदार के लिए काम किया, जिसने काम पूरा होने के बाद उन्हें पैसे देने से इंकार कर दिया.
जिसके बाद वह एक ट्रेन में यह सोचकर सवार हो गए कि वह ट्रेन उन्हें उनके गाँव के पास रेलवे स्टेशन बेरहामपुर की ओर जा रही है. गलत ट्रेन में सवार होने के कारण महापात्रा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर पहुंच गए. जहां टिकट नहीं की दशा में रेलवे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, बाद में उनके निर्दोष साबित होने की दशा में उन्हें छोड़ दिया गया.
वहीं बुरहानपुर में बेघर और भूखे लोगों को खाना खिलाने वाला रोटी बैंक चलाने वाले शिंदे ने उनकी काफी मदद की और कटक के व्यवसायी कमल राठी के साथ मिलकर उनके परिवार की खोज की, जिसमें कुछ समय बाद उन्हें सफलता मिल गई. कमल राठी स्वयंसेवकों के एक संगठन से भी जुड़े हुए हैं, जो जरूरतमंद लोगों की मदद करता है.
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