China On PM Modi Arunachal Visit: चीन ने सोमवार (11 मार्च) को कहा कि उसने अरुणचाल प्रदेश में हफ्ते हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को लेकर भारत के सामने राजनयिक विरोध दर्ज कराया है. चीन ने अरुणाचल पर अपना दावा दोहराते हुए कहा कि भारत के इस कदम से सीमा को लेकर अनसुलझे प्रश्न केवल जटिल होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (9 मार्च) को अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था. यह सुरंग सामरिक रूप से अहम तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और इसे सीमावर्ती क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित होने की उम्मीद है.
चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है और अपने दावों पर जोर देने के लिए वह नियमित रूप से राज्य में भारतीय नेताओं के दौरों पर आपत्ति जताता रहा है. चीन ने क्षेत्र का नाम जैंगनान रखा है.
भारत ने बार-बार किया है चीन के दावों को खारिज
भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि राज्य देश का अभिन्न अंग है. भारत ने क्षेत्र को मनगढ़ंत नाम देने के बीजिंग के कदम को भी खारिज कर दिया है और कहा है कि यह वास्तविकता को नहीं बदल सकता.
PM मोदी की यात्रा को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्या बोले?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोमवार (11 मार्च) को बीजिंग में एक प्रेस वार्ता में आधिकारिक मीडिया की ओर से पीएम मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि जैंगनान चीनी क्षेत्र है. वेनबिन ने कहा, ''चीनी सरकार ने भारत के तहत अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है और इसका दृढ़ता से विरोध किया है.''
वेनबिन ने कहा कि चीन-भारत सीमा विवाद अभी तक हल नहीं हुआ है. भारत को चीन में जैंगनान के क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है. भारत के ये कदम केवल सीमा विवाद को जटिल बनाएंगे और दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को बाधित करेंगे.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ''चीन-भारत सीमा के पूर्वी सेक्शन का भारतीय नेता की ओर से किए गए दौरे का चीन दृढ़ता से विरोध करता है.’’ वेनबिन वांग ने कहा, ''हमने भारत के सामने राजनयिक विरोध दर्ज कराया है.''
इतनी ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो-लेन सड़क सुरंग!
बता दें कि असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले से जोड़ने वाली सड़क पर बनी 825 करोड़ रुपये की लागत वाली सुरंग को इतनी ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो-लेन सड़क सुरंग माना जा रहा है. सेना के अधिकारियों के अनुसार, सेला सुरंग चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों और हथियारों की सुगम आवाजाही की प्रदान करेगी.