New Parliament Building Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी संग्राम जारी है. एक तरफ विपक्षी दलों का कहना कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से संसद का उद्घाटन कराना चाहिए, ऐसा नहीं होना लोकतंत्र पर हमला है. वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है और कहा है कि इस ऐतिहासिक मौके पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. शुक्रवार (26 मई) को लोकसभा में स्पीकर की चेयर के पास लगने वाले सेंगोल को लेकर विवाद बढ़ गया. दिनभर की बड़ी बातें-


1. विपक्ष और केंद्र सरकार के घमासान के बीच नई संसद का वीडियो पहली बार शुक्रवार (26 मई) को सामने आया. इसमें सांसदों के बैठने के लिए कक्ष से लेकर अशोक स्तंभ दिख रहा है. इसके अलावा गेट पर सत्यमेव जयते लिखा है. 


2. नए संसद भवन की वीडियो शेयर करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा. पीएम मोदी ने कहा कि वीडियो इस प्रतिष्ठित इमारत की झलक पेश करता है. मेरा अनुरोध है कि इस वीडियो को अपने वॉयस-ओवर (अपनी आवाज देना) के साथ साझा करें, जो आपके विचारों को व्यक्त करता हो. मैं उनमें से कुछ को री-ट्वीट भी करूंगा. #MyParliamentMyPride का इस्तेमाल करना न भूलें.


3. इस बीच कांग्रेस ने सेंगोल को लेकर दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘राजदंड’ (सेंगोल) को ब्रिटिश हुकूमत के भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि पीएम मोदी और उनकी वाह-वाह करने वाले लोग इस रस्मी राजदण्ड को तमिलनाडु में राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. 


4. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (24 मई) को ऐलान किया था कि ब्रिटिश हुकूमत के भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. उनके इस दावे को कांग्रेस ने खारिज किया. कांग्रेस के बयान के बाद खुद अमित शाह ने इसका जवाब दिया. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ''कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ ने भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर पंडित (जवाहरलाल) नेहरू को एक पवित्र राजदंड दिया गया था, लेकिन इसे चलते समय सहारा देने वाली छड़ी की तरह बताकर किसी संग्रहालय में भेज दिया गया.''


5. अमित शाह ने आगे कहा, ''अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. पवित्र शैव मठ थिरुवदुथुराई आदिनम ने भारत की स्वतंत्रता के समय राजदंड के महत्व के बारे में स्वयं बताया था.’’ शाह ने कहा, ‘‘कांग्रेस अब आदिनम के इतिहास को फर्जी बता रही है. कांग्रेस को अपने व्यवहार पर मनन करने की आवश्यकता है.’’ 


6. तमिलनाडु में स्थित तिरुवदुथुरै आदिनाम मठ के अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने भी सेंगोल को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि सेंगोल लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपा गया था और फिर इसे 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भेंट किया गया. कुछ लोगों के इस संबंध में किए जा रहे गलत दावों से उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर 1947 में अखबारों और पत्रिकाओं में छपी तस्वीरें और खबरें इसका प्रमाण हैं. 


7. राजनीतिक बयानबाजी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर गौर करना हमारा काम नहीं है. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई.


8. संसद के उद्घाटन समारोह से कांग्रेस, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की डीएमके और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित 19 विपक्षी दलों ने सामूहिक बहिष्कार की घोषणा की है. इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और सासंद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी कहा कि वो उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं जाएगी. 


9. संसद के उद्घाटन समारोह में कई ऐसे विपक्षी दल हैं जिन्होंने कि शामिल होने की हामी भरी है. इसमें जेडीएस, पूर्व केंद्रीय मंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP), ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD), शिरोमणि अकाली दल, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP), आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी((YSRCP) और लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान) है.


10. विपक्षी दलों के बहिष्कार की पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और अन्य गणमान्य नागरिकों सहित 270 प्रतिष्ठित नागरिकों के समूह ने निंदा की है. इस ग्रुप में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पूर्व निदेशक वाई सी मोदी, पूर्व आईएएस अधिकारी आर डी कपूर, गोपाल कृष्ण और समीरेंद्र चटर्जी के अलावा लिंगया विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल रॉय दुबे शामिल हैं. बयान में कहा गया है कि यह सभी भारतीयों के लिए एक गर्व का अवसर है, लेकिन विपक्षी दलों द्वारा बेबुनियाद तर्कों, अपरिपक्व रवैये, सनकी और खोखले दावों और सबसे बढ़कर गैर-लोकतांत्रिक है.


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