इतने दिनों से कहां था सेंगोल! फिर अचानक लाइम लाइट में कैसे आया? जानें
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल का जिक्र कर अचानक से भुला दिए गए इस राजदंड को सुर्खियों में ला दिया.
Sengol In New Parliament Building: भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन आने वाली 28 मई को हो जाएगा. लेकिन संसद भवन के उद्घाटन से कई दिनों पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार (24 मई) को की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बहुत पुराने प्रतीक सेंगोल ृका इस्तेमाल करके लोगों को चौंका दिया. हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको इस प्रतीक के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
1947 में, जब अंग्रेजों ने भारत में सत्ता का हस्तांतरण किया था तो इस मौके पर सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में किया गया था. सेंगोल एक प्रकार का राजदंड है, यानि वह देश के शासक के हाथ में सत्ता का स्वामित्व होने का प्रतीक है. अंग्रेजों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सौंपा था.
आजादी के बाद सत्ता हस्तांतरण के इस प्रतीक को लोग धीरे-धीरे भूल गए, लेकिन उस ऐतिहासिक अवसर के लगभग 75 साल बाद एक बार फिर से सेंगोल सुर्खियों में है और वह देश की नई संसद भवन में लगाया जाएगा.
इतने दिनों से कहां था सेंगोल?
अब सवाल उठता है कि तात्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सौंपे जाने के बाद और अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच आखिर यह राजदंड कहां पर था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंगोल को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वुम्मीदी एथिराजुलु के बेटे उधय वुम्मीदी ने कहा, यह तो हमें भी नहीं पता था कि अभी तक यह कहां था, लेकिन जब प्रधानमंत्री ने हमसे संपर्क किया और इसके बारे में हमसे पूछा तो इसने यकायक हमारी यादों को ताजा कर दिया.
उन्होंने कहा, ऐसा नहीं था हमें पता नहीं था कि आखिर ये क्या है, या फिर हम इसे भूल गए थे, लेकिन यह जरूर है कि यह कहीं हमारी यादों में दब गया था. लेकिन फिर सरकार ने हमें इसके बारे में याद दिलाया और अब यह आप सबके सामने है. गौरतलब है, सेंगोल प्रयागराज में नेहरू संग्राहलय में सुरक्षित रखा गया था, अब सरकार इसको देश की नई संसद भवन में लगाएगी.