नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील एच एस फुल्का का बयान सामने आया है. उन्होंने आम आदमी पार्टी पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया. फुल्का ने कहा, आज से 8 साल पहले जब देश मे अन्ना आंदोलन शुरू हुआ तो अपने-अपने क्षेत्र के समाज सेवक जुड़े और एक संगठन बनकर खड़ा हो गया जो पॉलिटिकल पार्टी के पैरेलल खड़ा हो गया. ऐसे संगठन की देश को बहुत जरूरत थी, फिर सोचा गया कि इसको पॉलिटिकल पार्टी में बदल दिया जाए. जिससे और ज़्यादा समाज सेवा हो सके.


एच एस फुल्का ने कहा कि लोकसभा चुनाव में लोगों का सर्मथन मिला और फिर बड़े अंतर से विधायक बना. पिछले एक साल से राजनीति से किनारे हूं ताकि 1984 के केस पर काम कर सकूं. पांच साल की राजनीति ने ये सिखाया कि 2012 में अन्ना आंदोलन को राजनीति में तब्दील करने का फैसला गलत था. आंदोलन को खत्म नहीं करना चाहिए था. आज फिर अन्ना आंदोलन जैसे आंदोलन की जरूरत है.


फुल्का ने यह भी कहा कि मैंने कम उम्र में राजीव गांधी की ताकतवर सरकार से लोहा लिया. कई लोगों का साथ मिला और आज हम लड़ाई जीते. इस्तीफा देने का कारण है कि हम फिर से अन्ना हजारे जैसा आंदोलन शरू करना चाहते हैं. मैंने विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया है हालांकि अभी विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर नहीं किया है.


एच एस फुल्का ने आरोप लगाया कि पंजाब में अभी भी नशे की समस्या बरकरार है. हालिया पंचायत चुनाव में भी नशे बांटे गए. उन्होंने कहा, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक पार्टी के कब्जे में है जो अपने राजनीतिक हित के लिए उसका इस्तेमाल करती है. संगठन बनाकर नशे के खिलाफ लड़ूंगा और SGPC को सियासी लोगों के कब्जे से निकालने के लिए अभियान चलाऊंगा.


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फुल्का ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की भी बात कही है. उन्होंने कहा, सज्जन कुमार के खिलाफ मिली इतनी बड़ी जीत को खुद की राजनीति के लिए इस्तेमाल नहीं करूंगा. अभी भी जगदीश टाइटलर और कमलनाथ जैसे बड़े-बड़े लोगों को जेल भिजवाना है. फुल्का ने कहा, गैर कांग्रेसी दलों के कॉमन प्लेटफॉर्म पर ये अभियान चलाएंगे.


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