बेंगलूरु में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या, अभी तक नहीं हुई कोई गिरफ्तारी
55 साल की गौरी लंकेश कन्नड़ भाषा की मशहूर पत्रकार और गौरी लंकेश पत्रिके नाम की लोकप्रिय साप्ताहिक पत्रिका की संपादक थीं. कर्नाटक पुलिस ने गौरी के हत्यारों की तलाश के लिए तीन टीमें बनाई हैं और दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का दावा कर रही है.
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बेंगलूरु: कल बेंगलूरु में वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. कल बेंगलूरु में कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनके घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. कर्नाटक पुलिस ने गौरी के हत्यारों की तलाश के लिए तीन टीमें बनाई हैं और दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का दावा कर रही है. हत्या के खिलाफ आज दिल्ली समेत देश के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
जानें- BJP विरोधी महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर किसने क्या कहा है?
कर्नाटक की वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश की कल बेंगलूरु में कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनके घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी थी. गौरी लंकेश को बाइक पर सवार हमलावरों ने बीती रात उस वक्त गोली मारी, जब वो दफ्तर से लौटकर अपने घर का दरवाज़ा खोलने जा रही थीं. फायरिंग के दौरान उनके सिर, गर्दन और सीने पर गोलियां लगीं हैं.
55 साल की गौरी लंकेश कन्नड़ भाषा की मशहूर पत्रकार और गौरी लंकेश पत्रिके नाम की लोकप्रिय साप्ताहिक पत्रिका की संपादक थीं. मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने ट्वीट किया है, ‘’दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश. अगर एक ही तरह के लोग मारे जा रहे हैं तो हत्यारे किस तरह के लोग हैं?’’
Dhabolkar , Pansare, Kalburgi , and now Gauri Lankesh . If one kind of people are getting killed which kind of people are the killers .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 5, 2017
दरअसल, जावेद अख्तर ने ऐसा इसलिए लिखा है, एमएम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे और नरेंद्र दाभोलकर की तरह ही क्योंकि गौरी लंकेश का भी दक्षिणपंथी संगठनों से गहरा वैचारिक विरोध था.
साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या कर्नाटक के धारवाड़ में 2015 में हुई थी. उनकी हत्या भी उनके घर के बाहर उसी तरीके से हुई थी, जैसे गौरी लंकेश की हुई है. 2015 में ही महाराष्ट्र के कोल्हापुर में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक गोविंद पंसारे की हत्या मॉर्निंग वॉक के समय गोली मारकर कर दी गई थी.
अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को महाराष्ट्र के पुणे में की गई थी. उनकी हत्या भी मॉर्निंग वॉक के समय गोली मारकर की गई थी. इन तमाम हत्याओं में एक जैसी बात ये है कि ये सभी लोग कट्टर दक्षिणपंथी ताकतों के विरोधी थे.
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