नई दिल्ली: न्यायपालिका और सरकार के बीच लंबी तनातनी के बाद आखिरकार उत्तराखंड के चीफ जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने का नोटिफिकेशन केंद्र ने जारी कर दिया. कल उनका शपथ ग्रहण भी होना है लेकिन इस मसले पर एक नया विवाद उभर आया है. सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा के चीफ जस्टिस विनीत सरन को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की अधिसूचना पहले जारी की. इस लिहाज से जस्टिस के एम जोसफ इन दोनों से जूनियर हो जाएंगे. कल होने वाले शपथग्रहण में भी यही क्रम रखा गया है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज इस मसले पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से बात कर सकते हैं.
कांग्रेस का हमला- क्या राजनीतिक पसंद से तय होगी वरिष्ठता?
जस्टिस जोसेफ के मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके मोदी सरकार पर हमला बोला है. सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ''आम जनता की आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट के प्रति भी मोदी सरकार का तानाशाही रवैया निंदनीय है.'' कांग्रेस ने इस पर सवाल भी उठाए हैं. सुरजेवाला ने लिखा, ''क्या राजनीतिक पसंद से वरिष्ठता तय होगी ना कि कॉलेजियम से? एक असुविधाजनक निर्णय से वरिष्ठता प्रभावित होगी?''
क्या है मामला?
दरअसल जस्टिस केएम जोसफ का नाम जस्टिस इंदु मल्होत्रा के साथ जनवरी में सरकार को भेजा गया था. सरकार ने इंदु मल्होत्रा को जज बनाया, लेकिन जोसफ का नाम कॉलेजियम को लौटा दिया. जुलाई में उनका नाम फिर इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन के साथ भेजा गया. दोबारा भेजी गई सिफारिश को मानना सरकार की बाध्यता थी. सरकार ने इसे माना, लेकिन इस तरीके से कि जोसफ सबसे जूनियर हो गए.
जूनियर बनने की वजह से क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाले सभी लोग पहले 2 जजों की बेंच में वरिष्ठ जज के सहयोगी बन कर बैठते हैं. कुछ सालों के बाद उन्हें खुद बेंच की अध्यक्षता करने का मौका मिलता है. वरिष्ठता में पीछे रहने के चलते जोसफ को ये मौका इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन के बाद मिलेगा.
चीफ जस्टिस बनने की संभावना नहीं
60 साल के जोसफ जब 2023 में रिटायर होंगे, उससे पहले वो कुछ महीनों के लिए कॉलेजियम में शामिल होंगे. हालांकि, जोसफ के चीफ जस्टिस बनने की संभावना पहले भी नहीं थी. क्योंकि उनसे उम्र में करीब 17 महीने कम जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ काफी पहले से सुप्रीम कोर्ट जज हैं. यानी वो जस्टिस चंद्रचूड़ के चीफ जस्टिस रहते रिटायर हो जाएंगे.
क्या जानबूझ कर अनदेखी की गई?
ऐसे में मुख्य दिक्कत यही है कि बेंच की अध्यक्षता करने का मौका उन्हें देर से मिलेगा. लेकिन सरकार की तरफ से वरिष्ठता का क्रम निर्धारित करने को अदालती गलियारों में गंभीरता से लिया जा रहा है. माना जा रहा है कि जब जनवरी में जोसफ का नाम भेजा गया और जुलाई में इसे दोहराया गया तो वरिष्ठता में उन्हें ऊपर रखा जाना चाहिए था. भले ही कॉलेजियम ने ऐसा लिखित में न दिया हो, पर यही उसकी भावना थी, जिसकी सरकार ने जानबूझकर कर अनदेखी की.