गुवाहाटी: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने रविवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का सही ढंग से हल निकालने और अति संवेदनशील मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए जमकर प्रशंसा की. एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में देश के अगले नामित प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई का धैर्य, साहस और चरित्र इतना मजबूत है कि कुछ भी गलत हो पाना मुश्किल है.


शनिवार को सर्वसम्मत फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया.


न्यायमूर्ति गोगोई ने हालांकि रविवार को कार्यक्रम में फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर बात नहीं करना चाहता. यह सही मौका नहीं है.’’


एस. ए. बोबडे ने क्या कहा
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, ‘‘मैं स्वयं को न्यायमूर्ति गोगोई के साथ काम करने का अवसर मिलने के लिए सौभाग्यशली मानता हूं जिनका धैर्य, साहस और चरित्र इतना मजबूत है कि कुछ भी गलत होना मुश्किल है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र सभी नागरिकों के कल्याण के लिए बनाया गया है और एक स्वतंत्र न्यायपालिका इस उद्देश्य को पूरा करने वाले उपकरणों में से एक है.’’ एस. ए. बोबडे ने कहा द्वारा प्रकाशित ‘कोर्ट्स ऑफ इंडिया: पास्ट टू प्रेजेंट’ के असमिया संस्करण के विमोचन के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘‘आज हम इसकी विरासत और उपलब्धि को स्वीकार करने और उसका जश्न मनाने के लिए यहां जुटे हैं.’’


एक अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश अरूण मिश्रा ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई ने देश के सामने मौजूद ‘‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनिर्णय’’ पर निर्णय दिया.


न्यायमूर्ति श्रीपति रवीन्द्र भट ने कहा कि हमने इतिहास बनते देखा और मुझे विश्वास है कि भारतीय न्यायिक इतिहास में यह अमिट रहेगा.


सुप्रीम कोर्ट का फैसला


अयोध्या जमीन विवाद पर अपने फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित जमीन रामलला की है. साथ ही कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन अयोध्या में ही देने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए. मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.

अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी.

अयोध्या फैसला: ओवैसी से खफा हैं साधु-संत, वेदांती बोले- वे कोर्ट के बारे में अनाप-शनाप बोल रहे हैं


अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम, 5 हजार लोगों ने अस्थायी राम मंदिर में किए दर्शन


गुरु नानक जयंती कार्यक्रम: दिल्ली पुलिस ने जारी की ट्रैफिक एडवाईजरी, इन रास्तों से गुजरेगी नगर कीर्तन यात्रा