नई दिल्लीः आम बजट के ऐन पहले शेयर बाजारो में तेजी का सिलसिला जारी है. कुछ इसी का सबूत है कि बुधवार को पहली बार बांबे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 35 हजार के ऊपर बंद हुआ जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी कारोबार के दौरान 10800 के मनोवैज्ञानिक स्तर को छूने में कामयाब रहा.


बाजार में तेजी का आलम ये है कि बीते साल बजट पेश करने की तारीख यानी पहली फऱवरी 2017 से लेकर अब तक यानी 17 जनवरी 2018 तक बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों में निवेशकों की पूंजी 40.5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा बढ गयी. वहीं इस साल पहली जनवरी से लेकर अब तक की बात करें तो निवेश की कीमत यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.38 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है.


वैसे तो बुधवार को बाजार की शुरुआत धीमी थी, लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से एक बयान ने बाजार का रुख थोड़ा बदल दिया. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चालू कारोबारी साल के दौरान अतिरिक्त उधारी 50 हजार करोड़ रुपये नहीं, बल्कि 20 हजार करोड़ रुपये ही रहेगी. अतिरिक्त उधारी की रकम में फेरबदल की वजह आमदनी और खर्चों का नया आंकलन है. मंत्रालय के बयान आने के बाद बाजार में ये धारणा मजबूत हुई है कि सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्क्ल डेफिसिट बेकाबू नहीं होगा. इसीके बाद नए सिरे से खरीदारी शुरु हुई.


दूसरी ओर उधारी में कमी के अनुमान से सरकारी बांड के बाजार पर भी अच्छा असर देखने को मिला. अब उम्मीद है कि इस बाजार के ताजा माहौल में बैंक व वित्तीय संस्थाओं की आमदनी बढ़ेगी. इसके चलते निवेशकों ने बैंक व वित्तीय संस्थाओं के अलावा एफएमसीजी, आईटी, मेटल, फार्मा, कैपिटल गुड्स और पावर शेयरों में जमकर खरीदारी की. हालांकि इस तेजी के माहौल में मीडिया, ऑयल एंड गैस और कंज्यूमर ड्युरेबल्स शेयर में मंदी दिखी.


कुल मिलाकर एसई सेंसेक्स कारोबार के अंत में 35072 पर बंद हुआ जो मंगलवार के मुकाबले 310 प्वाइंट ज्यादा है. वहीं एनएसई निफ्टी की बात करें तो ये सूचकांक मंगलवार के मुकाबले 88 प्वाइंट ऊपर 10788 पर बंद हुआ. गौर करने की बात ये है कि कारोबार के दौरान ये 10800 की मनोवैज्ञानिक सीमा को छूने में कामयाब रहा था.


जानकारों की मानें तो बाजार में तेजी का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है और अगर बजट में शेयरों की खरीद-बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स के नियमों में कोई फेरबदल नही हुआ तो इसका बाजार पर अच्छा असर पड़ेगा. हालांकि उनका कहना है कि तेजी के इस माहौल में छोटे निवेशको को सीधे-सीधे शेयर खरीदने से बचना चाहिए. उनके लिए म्यूचुअल फंड में एसआईपी यानी किश्तों में निवेश करना ज्यादा बेहतर होगा.