सीरम इंस्टिट्यूट ने कोविड-19 वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए DCGI अनुमति मांगी
कोरना पर रोक थाम लगाने के लिए भारत में फाइजर के बाद अब सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए डीसीजीआई के पास अनुमति मांगी है.
नई दिल्ली: भारत में फाइजर के बाद सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी कोरोना की वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए डीसीजीआई के पास अनुमति मांगी है. वहीं जल्द ही कुछ और वैक्सीन ट्रायल जो तीसरे चरण में है वो भी इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए अनुमति मांग सकते है. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल अप्रैल-मई के महीने तक भारत में कम से कम पांच वैक्सीन कोरोना के खिलाफ होंगी.
देश में 5 वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अगल-अलग चरणों में
भारत में इस समय पांच वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल अलग-अलग चरणों में चल रही है. इसमें ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनीका की वैक्सीन जिसका ट्रायल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है और भारत बायोटेक इन दोनों की वैक्सीन के ट्रायल तीसरे चरण में है. वहीं सीरम इंस्टिट्यूट का ट्रायल तीसरे चरण के आखरी दौर में है. वहीं रूस की वैक्सीन स्पूतनिक दूसरा और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसके अलावा Zydus कैडिला की वैक्सीन का तीसरे चरण के ट्रायल जल्द शुरू हो जाएंगे. इसके अलावा एक और वैक्सीन है जिसका पहले चरण का ट्रायल शुरू होने जा रहा है. जेनोवा नाम की कंपनी भी अपने ट्रायल शुरू कर रही है.
जानकारों के मुताबिक फाइजर और सीरम इंस्टीटट ऑफ इंडिया के अलावा जल्द ये वैक्सीन कंपनी अपना ट्रायल आधार पा इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए अप्लाई कर सकते है. ऐसे में भारत में एक से ज्यादा कोरोना के खिलाफ वैक्सीन होगी. एम्स के निदेशक और वैक्सीन से जुड़ी कमेटी में सदस्य डॉ रणदीप गुलेरिया भी मानते है की इस महीने के अंत तक कम से कम दो वैक्सीन भारत में लगाने के लिए इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन हासिल कर चुकी होंगी.
साल 2021 की शुरुआत तक भारत के पास होंगी दो से तीन वैक्सीन- एम्स डायरेक्टर
एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि, “हमारे फेस 3 ट्रायल चल रहे हैं. वहीं, सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के ट्रायल अंतिम चरण में है. हम उम्मीद करते हैं कि इस महीने के अंत तक हमें एमरजैंसी यूज ऑथराइजेशन या रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाना चाहिए जिससे हम वैक्सीन भारत में भी लगा पाए. हमारे लिए चुनौती यह होगी जो हमारे लिए उपलब्ध हो उसकी डोज की मात्रा भी अच्छी मात्रा में हो.”
एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया के मुताबिक अगले साल की शुरुआत तक दो से तीन वैक्सीन भारत के पास होंगी. उन्होंने कहा कि अभी सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन है. मुझे ये उम्मीद है की अगले साल तक एक नहीं दो तीन वैक्सीन होंगी. रशियन वैक्सीन स्पूतनिक का भी ट्रायल जो हैदराबाद में डॉ रेड्डी लैबोरेट्री कर रही है वो भी तब तक खत्म हो जाएंगे और उसके भी इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन मिल सकता है. जिससे हमारे पास एक नहीं कई वैक्सीन होंगी और हम ज्यादा लोगों को लगा पाएंगे.
वहीं, एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा का भी मानना है कि भारत के पास अगले साल शुरूआत के महीनों में चार से पांच वैक्सीन होंगी. उन्होंने कहा कि, “अगले साल जल्दी ही हमारी कविशील्ड उपलब्ध होगी, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन उपलब्ध होगी, Zydus कैडिला की वैक्सीन भी आ जाएगी. मार्च अप्रैल तक ये तीन से चार वैक्सीन मिल जाएंगी. फाइजर को अनुमति मिल जाएगी तो वो भी उपलब्ध होगी.”
यानी साफ है की भारत में कोरोना के खिलाफ एक दो नहीं बल्कि चार से पांच वैक्सीन होंगी. खास बात ये की इसमें से तीन वैक्सीन भारत बायोटेक-आईसीएमआर, Zydus कैडिला और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन भारत में ही बनेगी. ऐसे में इनकी ज्यादा डोज भारत के लिए उपलब्ध होंगी.
आपको बताते है की भारत में किन-किन वैक्सीन कंपनी ने डीसीजीआई के पास अनुमति मांगी और कौन सी वैक्सीन इस ट्रायल कहां तक पहुंचा है.
फाइजर की mRNA वैक्सीन
यूके और बहरीन में इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन मिलने के बाद फाइजर ने भारत में अपनी mRNA वैक्सीन के लिए अनुमति मांगी है. उम्मीद है की फाइजर को अनुमति मिल सकती है. हालांकि जानकारों के मुताबिक ये टीका मास वैक्सिनेशन का हिस्सा नहीं हो सकता है. इस वैक्सीन के लिए -70 डिग्री का तापमान चाहिए, इसके लिए कोल्ड चैन और इसकी कीमत ये चीजें इसे भारत के लिहाज से सही नहीं है. इसलिए उम्मीद है की ये प्राइवेट इस्तेमाल में ज्यादा हो यानी कोई चाहे तो खरीद कर ले सकता है.
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनीका की वैक्सीन जिसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है
भारत की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी भारतीय रेगुलेटर डीसीजीआई के पास अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन की अनुमति मांगी है. कंपनी का दावा है उसकी वैक्सीन की एफीकेसी काफी बेहतर है. ये वैक्सीन भारत के लिहाज से हर तरह से सही है. इसे 2 से 8 डिग्री में रखना होता है यानी कोल्ड स्टोरेज के लिए खास इंतजाम नहीं करने होंगे. वहीं कीमत भी इसकी कम रहने की उम्मीद है. इसलिए माना जा रहा है की भारत में मास वैक्सीन का हिस्सा हो सकती है. फिलहाल इस वैक्सीन तीसरे चरण का ट्रायल अंतिम चरण में है. अनुमति मिलने के कुछ ही दिनों में वैक्सीन भारत में उपलब्ध हो जाएगी.
भारत बायोटेक और आईसीएमआर की वैक्सीन
हैदराबाद की भारत बायोटेक और आईसीएमआर मिलकर जिस वैक्सीन को तैयार कर रहे है उसका तीसरे चरण का ट्रायल काफी तेज़ी से चल रहा है. उम्मीद है की भारत बायोटेक भी जनवरी या फरवरी में इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के लिए डीसीजीआई के पास जा सकते है. पहले दो चरणों के नतीजे काफी अच्छे आए है. जानकारों के मुताबिक भारतीय कंपनी द्वारा तैयार किया जा रहा ये वैक्सीन का प्रोडक्शन भी शुरू हो चुका है. अगर अनुमति मिलती है तो जल्द ही ये भी लोगो के लिए उपलब्ध होंगे. तो ये तीसरी वैक्सीन होगी भारतीयों के लिए.
Zydus - कैडिला की वैक्सीन
भारत की एक और दवा बनाने वाली कंपनी Zydus - कैडिला के वहीं पहले दो चरण का ट्रायल पूरा हो चुका और नतीजे अच्छे रहे. अब Zydus - कैडिला की वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल की अनुमति मिल चुकी है और जल्द इसके ट्रायल भी शुरू हो जाएंगे. इस तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे भी अप्रैल मई तक आने की उम्मीद है.
स्पूतनिक
रूस की वैक्सीन स्पूतनिक 5 जिसका ट्रायल डॉ रेड्डी लैबोरेटरी कर रही है. इसी महीने डॉ रेड्डी लैबोरेटरी के साथ रूस की वैक्सीन स्पूतनिक 5 का फेस 2 और 3 क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ है. जानकारों के मुताबिक स्पूतनिक के क्लीनिकल ट्रायल में अप्रैल - मई तक का वक्त लग सकता है. ऐसे में ये भी बाकी कंपनी की तरह अगर नतीजे अच्छे आते है तो ये भी भारतीय रेगुलेटर के पास अनुमति मांग सकतें है.
भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन आने की उम्मीद जाहिर की थी. वहीं उनके मुताबिक जुलाई तक 25 से 30 करोड़ लोगों को इसे दिया जाएगा वहीं किसे पहले मिलेगी ये भी तय हो चुका है. यानी साफ है की अगला साल तक भारत में करीब पांच वैक्सीन कोरोना के खिलाफ उपलब्ध होंगी.
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