पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जुलाई में बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल शुरू करेगा. इंस्टीट्यूट नोवावैक्स वैक्सीन बच्चों के इस्तेमाल के लिए टेस्ट करेगा जिसे अमरीका की बॉयोटेकनोलॉजी फर्म ने डेवेलप किया है, जिसे भारत में कोवोवैक्स के नाम से ब्रांडिड किया गया है. सीरम नोवावैक्स के साथ पार्टनर है और वो भारत में सितंबर तक कोवोवैक्स लांच करने की संभावना जाता रही है. टीका डेवलप करने वाली अमरीकी कंपनी नोवावैक्स ने अमरीका में किए गए बच्चों पर ट्रायल के बाद कहा था कि अमरीकी राज्य मैक्सिको के 119 शहरों में इसके फेज-3 ट्रायल के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए जिनका प्रतिशत 90.4% रहा.


सुरक्षित हैं  नोवावैक्स बैक्सीन


अमरीकी कंपनी के नोवावैक्स डाटा रिलीज करने के एक दिन बाद भारत में कोवड-19 टास्क फोर्स के हैड डॉ. वी के पॉल ने कहा कि जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि नोवावैक्स सुरक्षित वैक्सीन है, उन्होंने कहा, “उपलब्ध आंकड़ों से हमें पता चलता है  कि वैक्सीन बेहद सुरक्षित है. लेकिन बड़ी बात ये है कि बच्चों के लिए कारगर इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया करेगा. उंहोंने ये भी कहा कि सीरम को बच्चों पर इसका ट्रायल बिना किसी देरी के शुरू कर देना चाहिए.


भारत बायोटेक और जायडस कैडिला भी कर रही क्लीनिकल ट्रायल


भारत बायोटेक 12-18 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर चुकी है. यह ट्रायल एम्स पटना और दिल्ली में कुल 525 बच्चों पर किया जाएगा. साथ ही जायडस कैडिला भी 12-18 साल के बच्चों के लिए अपनी कोविड वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर चुकी है. फार्मा कंपनी अब 5-12 साल के बच्चों पर भी क्लीनिकल ट्रायल की योजना बना रही है.


कोवोवैक्स ट्रायल इसलिए महत्वपूर्ण है.


सरकार उम्मीद जता रही है कि अगस्त्और दिसंबर तक इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज़ उपलब्ध होंगे. इसके अलावा कोवोवैक्स को 2 से 8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जा सकता है और ये भारत में इसके रखरखाव को लेकर बहुत बड़ा पहलू है और भारत में कोल्ड चेन के लिए बहुत लाभदायक है. दूसरी बात ये है कि नोवावैक्स वैक्सीन बनाने के लिए रि-कंबीनेंट नैनोपार्टिकल टेकनोलॉजी का इस्तेमाल किया है जो पहले से टेस्टिड है और इसी से एंटीजन जेनेरेट होता है. इसे कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन से ड्राइव किया गया है. इसी तरह की टेकनोलॉजी ह्यूमन में HPV, hepatitis, और  influenza का वैक्सीन तैयार करने में की गई थी.


अमरीका नें फाईजर की वैक्सीन को 12 साल तक के बच्चों के लिए हरी झंडी दे दी थी इस पर जब ये सवाल पूछा गया कि क्या भारत इस वैक्सीन को भी प्रोक्योर करने के बार में सोच रहा है तो इस पर डॉ. पॉल ने कहा कि भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए 25-26 करोड़ डोज़ की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि अब ये फैसला करना की बच्चों पर कौन सी वैक्सीन इस्तेमाल होगी तो ये याद रखिए हमारे यहां बच्चों का आयु वर्ग भी काफी बड़ा है. अंदाजा यही है कि 12-18 आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 13-14 करोड़ है.


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