मुरुगा मठ के अंतरिम प्रशासक होंगे सेशन कोर्ट के जज, क्या है पूरा विवाद?
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुरुगा मठ के मठाधीश शिवमूर्ति शरणारू के जेल में बंद होने की वजह से फैसला सुनाया था कि चित्रदुर्ग जिले की डिस्ट्रिक जज मठ की प्रशासनिक अधिकारी होंगी.
Muruga Mutth: मुरुगा मठ के मठाधीश शिवमूर्ति शरणारू के पॉक्सो केस में जेल जाने के बाद मठाधीश के प्रशासनिक कार्यों को लेकर विवाद चल रहा था. इस विवाद के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रहने तक और मठ के अन्य प्रशासनिक दायित्वों की पूर्ति के लिए एक अलग फैसला लिया है. उसने चित्रदुर्ग जिले की जिला जज को इस मठ का प्रशासनिक अधिकारी बनने का निर्देश दिया था. जिला जज ने मंगलवार (4 जुलाई) को इसका पदभार ग्रहण कर लिया है.
मंगलवार (4 जुलाई) को चित्रदुर्ग जिले की जिला जज प्रेमवती मनागुली एम ने प्रशासनिक कार्यालय में जाकर अपना पदभार ग्रहण कर लिया. इस दौरान उनके साथ रिटार्यड आईएएस ऑफिसर पीएस वस्त्राद भी मौजूद थे, जिन्होंने उनको सभी गतिविधियों से परिचित कराया. इसके बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, मैंने मठ के अस्थायी प्रशासक के रूप में जिम्मेदारी संभाल ली है. उन्होंने कहा, मैं हाईकोर्ट के अगले आदेश तक इस पद पर बनी रहूंगी.
अदालत के जिम्मे क्यों आया मठ का प्रशासन?
मुरुगा मठ के प्रमुख, शिवमूर्ति शरणारू, वर्तमान में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. इससे पहले, सरकार ने मठ के प्रबंधन की देखरेख के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी पीएस वस्त्राड को प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया था.
हालांंकि इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने इससे पहले आईएएस अधिकारी की नियुक्ति का विरोध किया था. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए मुरुगा मठ के प्रमुख शिवमूर्ति शरणारू दोषी पाए जाने तक निर्दोष हैं. लिहाजा, उनको तब तक मठ का प्रतिनिधि होना चाहिए और उनको मठ के प्रशासनिक क्रियाकलापों को लगातार करते रहना चाहिए.
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