नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए जारी कैंपेन के बीच कांग्रेस को गोवा में बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस जहां गोवा में सरकार बनाने का दावा पेश कर पर्रिकर सरकार पर जीत का सपना संजोये थी. वहीं पार्टी के ही दो विधायकों ने इस सपने पर पानी फेर दिया. यही नहीं राज्य में कांग्रेस से नंबर वन होने की हैसियत भी छीन ली. दरअसल, पार्टी के दो विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते कल नई दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गए.
कांग्रेस पर्रिकर सरकार को बर्खास्त कर सरकार बनाने का दावा करती रही है. पिछले दिनों कांग्रेस ने दावा किया था कि बीजेपी के कई विधायक उसके संपर्क में हैं. लेकिन दावा धरा का धरा रह गया. मनोहर पर्रिकर इसी साल फरवरी से बीमार हैं और वह दिल्ली, मुंबई, गोवा और अमेरिका में इलाज करा चुके हैं. फिलहाल पर्रिकर गोवा स्थित अपने घर में डॉक्टर की देखरेख में हैं.
दोनों विधायकों के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होते ही विधानसभा का गणित बदल गया है. दोनों के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद बहुमत का आंकड़ा 21 से गिरकर 20 हो गया है. दोनों कांग्रेस विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से दोनों दलों की विधानसभा में विधायकों की संख्या 14-14 यानि बराबर हो गयी है.
गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा फोरवॉर्ड पार्टी के तीन तीन विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों और एक एनसीपी के विधायक के समर्थन से सरकार बनाई थी.
गोवा में टूटी कांग्रेसः बीजेपी में शामिल होंगे पार्टी के दो विधायक
कांग्रेस को 17 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी को 13 सीटें मिली थी. बाद में विश्वजीत राणे ने कांग्रेस के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. वे बाद में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे. अब वही विश्वजीत राणे, कांग्रेस के किले में सेंध लगाने वाले मुख्य सूत्रधार बन गए हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों को विश्वजीत राणे ने ही तोड़ा है.
सूत्रों के मुताबिक गोवा कांग्रेस के कुछ और विधायक भी बीजेपी के संपर्क में हैं. अगर कांग्रेस में और टूट हुई तो बीजेपी सरकार के ऊपर से दूसरे सहयोगी दलों का दवाब कम हो जाएगा. वहीं कांग्रेस भी अब सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा नहीं कर सकेगी. कांग्रेस टूट को सत्ता का भयंकर दुरुपयोग बता रही है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, ''सत्ता का दरुपयोग हो रहा है, आतंक और भय का माहौल बनाया जा रहा है, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी पार्टियों को तोड़ा जा रहा है.''
कांग्रेस ऐसे आरोपों की झड़ी पहली बार नहीं लगा रही है. 2017 में चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद सरकार बनाने से दूर रही थी. बीजेपी ने दूसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद छोटे दलों के विधायकों को एकजुट किया और सरकार बना ली थी. राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस की नाकामी करार दिया था. बाद में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को राज्य प्रभारी पद से हटा दिया था.