अहमदाबाद: गुजरात में नाटकीय घटनाक्रम में पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के महत्वपूर्ण सहयोगी वरूण पटेल और रेशमा पटेल सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हो गए.


यह घटनाक्रम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के हार्दिक पटेल को उनकी पार्टी के साथ हाथ मिलाने का न्योता देने के कुछ घंटों बाद हुआ है. सोलंकी ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राज्य की सत्ता में आने पर ओबीसी वर्ग को 20 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण देने का वादा किया.


वरूण और रेशमा हार्दिक पटेल की पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का प्रमुख चेहरा थे और आंदोलन के दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी के आलोचक रहे.



तस्वीर: वरुण और रेशमा पटेल

वे मुख्यमंत्री विजय रूपानी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतू वाघानी से संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान मुलाकात की. इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी हिस्सा लिया.


बीजेपी में शामिल होने के बाद पाटीदार नेताओं ने कहा कि हार्दिक ‘कांग्रेस का एजेंट’ बन गया है और मौजूदा राज्य सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आंदोलन का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है.


रेशमा पटेल ने कहा, ‘‘हमारा आंदोलन ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के बारे में था. यह बीजेपी को उखाड़कर उसकी जगह कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए नहीं था. जहां बीजेपी ने हमेशा समुदाय का समर्थन किया है और हमारी ज्यादातर मांगे मान ली हैं. कांग्रेस सिर्फ पटेलों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. हम इस तरह की दुर्भावनापूर्ण साजिश का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं.’’