लोकसभा में हंगामा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, कांग्रेस के सात सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित
गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला के खिलाफ कार्रवाई हुई. सांसदों के हंगामे से व्यथित होकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज भी सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया.
नई दिल्ली: लोकसभा में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है. इसके तहत कांग्रेस के सात सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. सातों सांसदों को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के कमरे में हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया. कांग्रेस के सात सांसदों गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला को पूरे बजट सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. जिस दिन से संसद की कार्रवाई शुरू हुई है तब से ही विपक्ष के लोग हंगामा करते दिखे. 3 अप्रैल तक संसद का बजट सत्र चलना है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आज भी कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया
बता दें कि कांग्रेस सांसदों के हंगामे से व्यथित होकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया था. बिरला ने मौन रह कर अपना विरोध प्रकट किया था. आज लगातार दूसरे दिन भी उन्होंने सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया. इस कार्रवाई पर कांग्रेस का कहना है कि सत्ता पक्ष के लोग भी हंगामा कर रहे थे. कांग्रेस ने कहा कि वो पहले दिन से ही दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही है.
पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों द्वारा अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक कागज छीने जाने और उछालने का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया.
पीठासीन सभापति ने मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘‘जिन माननीय सदस्यों को निलंबित किया गया है वे तुरंत बाहर चले जाएं.’’ इससे पहले पीठासीन सभापति लेखी ने दोपहर तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कहा, ‘‘आज दोपहर सदन में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने सभा की कार्यवाही से संबंधित आवश्यक कागज अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक छीन लिये और उछाले गये. संसदीय इतिहास में ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संभवत: पहली बार हुआ है जब अध्यक्ष पीठ से कार्यवाही से संबंधित पत्र छीने गये. मैं इस आचरण की घोर निंदा करती हूं.’’ उन्होंने संसदीय प्रक्रिया नियमों के नियम 374 के तहत उक्त सदस्यों को नामित किया.