मुंबई: मुंबई पुलिस की प्रॉपर्टी सेल ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से लाखों की वसूली करता था. यह गैंग अब तक करीब 500 लोगों के साथ धोखाधड़ी करके नौकरी दिलाने के नाम पर 15 करोड़ रुपये की जालसाजी कर चुका है. मुंबई पुलिस के मुताबिक इस जॉब रैकेट में मुंबई महानगरपालिका, मुंबई पुलिस और सरकारी अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे.


मुंबई पुलिस को जब इस जॉब रैकेट की शिकायत मिली तो उन्होंने इसकी तफ्तीश शुरू की. जांच में पता चला कि इस गैंग का सबसे शातिर और मुख्य सदस्य मुंबई महानगरपालिका का एक पूर्व कर्मचारी है, जो शुरुआत में बीएमसी में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी दिलाने के लिए पहले एक लाख रुपये एडवांस लेता था और उसके बाद नौकरी की चाहत रखने वाले शख्स को मुंबई महानगरपालिका भेजा जाता था, जहां इसकी गैंग का दूसरा सदस्य नौकरी दिलाने के लिए डॉक्यूमेंटेशन का काम करता था.


इसके बाद तीसरा सदस्य नौकरी पाने की चाहत रखने वाले शख्स की मेडिकल जांच कराने का काम करता था. इसी तरह से गैंग के सदस्य कोई कार्ड बनाता था तो कोई ग्राहकों को लाने का काम करता था और जैसे-जैसे काम आगे बढ़ता था, इन लोगों से पैसे वसूले जाते थे. मुंबई पुलिस के मुताबिक इस जॉब रैकेट ने एक-एक सदस्य से करीब 5-5 लाख रुपये की वसूली की है और करीब 15 करोड़ रुपये की जालसाजी की है.


गैंग के सदस्यों में मुंबई पुलिस की एक महिला कॉन्स्टेबल भी शामिल है, जो नौकरी छोड़ चुकी थी और नौकरी पाने वाले इच्छुक कैंडिडेट्स को फंसाने का काम करती थी. मामले में दिलचस्प बात यह है किसी भी कैंडिडेट को शक ना हो, इसलिए कुछ लोगों के बैंक अकाउंट में कुछ महीनों तक सैलरी भी भेजी जा रही थी और उन्हें कहीं ना कहीं काम भी दिया जा रहा था. फिलहाल मुंबई पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें 28 दिसंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.


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