RTI कार्यकर्ता की हत्या: पूर्व BJP सांसद दीनू बोघा सोलंकी समेत सात को उम्रकैद
गिर वन्यजीव अभयारण्य और उसके आसपास अवैध खनन का पर्दाफाश करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट अमित जेठवा की हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व बीजेपी सांसद दीनू बोघा सोलंकी सहित सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या साल 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर कर दी गई थी.
अहमदाबाद: आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व बीजेपी सांसद दीनू बोघा सोलंकी सहित सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. अमित जेठवा की हत्या गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों का पर्दाफाश करने की कोशिश में कर दी गई थी. सीबीआई जज के एम दवे ने सजा के साथ पूर्व बीजेपी सांसद सोलंकी और उसके भतीजे पर 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि पूर्व बीजेपी सांसद का भतीजा भी मामले में आरोपी है.
कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सोलंकी और उसके भतीजे शिवा सोलंकी को हत्या और साजिश रचने का दोषी ठहराया गया. सोलंकी 2009 से 2014 तक जूनागढ़ के सांसद रहे. मामले के अन्य दोषियों में शैलेश पांड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचन जी देसाई, संजय चौहान और उदाजी ठाकोर शामिल हैं. अदालत ने पिछले शनिवार को सभी सातों आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराया था.
पेशे से वकील आरटीआई कार्यकर्ता जेठवा की गिर वन्यजीव अभयारण्य और उसके आसपास अवैध खनन का आरटीआई आवेदनों के जरिए खुलासा करने को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इन खनन गतिविधियों में दीनू बोघा सोलंकी शामिल था. बता दें कि साल 2010 में जेठवा ने गिर अभयारण्य में और उसके आसपास अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. सोलंकी और उसके भतीजे को इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया और जेठवा ने अवैध खनन में उनकी संलिप्तता को दिखाने वाले कई दस्तावेज पेश किए.
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ही जेठवा की 20 जुलाई 2010 को गुजरात हाईकोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शुरुआत में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की जांच की और दीनू सोलंकी को क्लीन चिट दे दी थी. जांच पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने साल 2013 में मामला सीबीआई को सौंपा. सीबीआई ने नवंबर 2013 में सोलंकी और छह अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था.
मई 2016 में सोलंकी के खिलाफ हत्या और आपराधिक षडयंत्र के आरोप तय किए गए. इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा के पिता भिखाभाई जेठवा फिर से केस शुरू करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे. अदालत ने 2017 में नए सिरे से केस चलाने के आदेश दिए. मृतक आरटीआई कार्यकर्ता के पिता भिखाभाई जेठवा ने अदालत के फैसले के बाद कहा, ‘‘हमारी न्यायपालिका समय लेती है लेकिन उसने आखिरकार हमारे परिवार को न्याय प्रदान किया. यहां तक कि सोलंकी जैसे अपराधी से भी न्याय किया.’’
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