नई दिल्ली: 22 जनवरी 2020, वक्त सुबह 7 बजे.... यह वह तारीख है और वक़्त है जिसको सुनने के लिए निर्भया के माता-पिता पिछले 85 महीनों से हर तारीख पर अदालत तक पहुंचते थे. लेकिन हर बार कानूनी प्रक्रिया के चलते एक और अदालती तारीख मिल जाती थी. लेकिन 7 जनवरी 2020 वो दिन रहा जब निर्भया के माता-पिता कोर्ट पहुंचे तो उनको भी उम्मीद थी कि आज अदालत निर्भया के हत्यारों के लिए डेथ वारंट जारी करेगी और फांसी की तारीख सामने आ जाएगी. हुआ भी ऐसा ही, अदालत ने जब अपना आदेश सुनाया तो उसमें साफ कर दिया कि निर्भया के हत्यारों को 22 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजे फांसी की सजा दी जाएगी.


इस बार नहीं टल सकी फांसी की तारीख


अदालत में सुनवाई के दौरान पहले तो दोषियों के वकीलों की दलील थी कि ऐसे जल्दबाजी में डेथ वारंट जारी ना किया जाए क्योंकि अभी भी दोषियों के पास क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प मौजूद है. और जब तक वह विकल्प मौजूद है डेथ वारंट यानी फांसी की तारीख और वक्त नहीं तय किया जाना चाहिए. लेकिन निर्भया के माता-पिता के वकीलों की दलील थी कि यह लोग इस तरह की दलीलें पिछली कई सुनवाईयों से देते आ रहे हैं, मकसद यही है कि कैसे भी वक्त बर्बाद किया जाए और एक बार फिर यही कोशिश कर रहे हैं. निर्भया के माता-पिता के वकीलों की दलील थी कि अदालत इनके खिलाफ डेथ वारंट जारी कर सकती है और उसके बाद नियम के मुताबिक 14 दिन का वक्त दिया जा सकता है. अगर इन दोषियों को अपने किसी कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करना है तो वह उन 14 दिनों के दौरान कर सकते हैं.


चारों दोषियों के सामने सुनाई गई उनकी फांसी की तारीख


अदालत ने इन दलीलों के बाद चारों दोषियों को अदालत में पेश करने का आदेश दिया, लेकिन यह पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. अदालत के आदेश के बाद चारों दोषियों को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया. जिसके बाद चारों दोषियों की बात सुनने के बाद अदालत ने फांसी की तारीख तय की.


22 जनवरी को हो जाएगी फांसी, इसको लेकर संशय बरकरार


हालांकि 22 जनवरी 2020 को फांसी हो ही जाएगी इसको लेकर अभी भी कुछ सवाल जरूर मौजूद हैं. क्योंकि यह फांसी तभी हो सकती है जब कोई भी याचिका ना तो सुप्रीम कोर्ट में और ना ही राष्ट्रपति के पास लंबित हो. लेकिन दोषियों के वकीलों का कहना है कि वह पहले सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दायर करेंगे और अगर वहां से राहत नहीं मिल पाती तो राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाएंगे. सवाल यही है कि क्या अगले 14 दिनों के दौरान इन दोनों ही विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति उस पर अपना रुख साफ कर देंगे? अगर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति अगले 14 दिनों के भीतर दोषियों की तरफ से दी जाने वाली याचिकाओं पर अपना रुख साफ कर देते हैं और दोषियों को किसी तरह की कोई राहत नहीं देते, तब तो 22 जनवरी सुबह 7 बजे दोषियों को फांसी होगी. वरना फांसी के लिए एक और तारीख और वक्त तय किया जाएगा.


यह भी पढ़ें-


निर्भया के गुनहगारों की फांसी की तारीख तय, टालने के लिए अभी भी दो विकल्प