नई दिल्ली:  दिल्ली के चुनावी नतीजों से साफ है कि अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. 2015 की 67 सीटों के मुकाबले आम आदमी पार्टी को इस बार 70 में से 62 सीटों पर जीत मिली है. वैसे तो आम आदमी पार्टी के इस शानदार प्रदर्शन के सामने BJP और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां भी नहीं टिक पाई हैं लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़े बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी की इस लहर में आधा दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल बह गए.


चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का 0.46 फीसदी हिस्सा NOTA के खाते में गया है, लेकिन कई दर्जन पार्टियां ऐसी भी हैं जिन्हें कुल मिलाकर NOTA से भी कम वोट मिले हैं. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का है. जिसे 0.00 प्रतिशत वोट मिले हैं. इसके बाद बारी चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल की आती है जिसे मिले हैं 0.01 फीसदी वोट और इतने ही वोट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) (CPIM) को भी मिले हैं. लिस्ट में अगला नाम शरद पवार की NCP का है जिसे 0.02 फीसदी वोट मिले हैं और 0.02 फीसदी वोट शेयर के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) भी लिस्ट में तीसरे नंबर पर है.


लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सबसे कम वोट पाने वाली क्षेत्रीय पार्टियों की लिस्ट में चौथे नंबर पर है. तेजस्वी यादव के एक हफ्ते के प्रचार के बाद भी पार्टी को महज 0.04 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि महाराष्ट्र में सरकार चला रही BJP की पूर्व सहयोगी शिवसेना को दिल्ली चुनाव में कुल 0.20 फीसदी वोट नसीब हुए हैं. NOTA के सबसे करीब रामविलास पासवान की पार्टी LJP है जिसका वोट शेयर 0.35 फीसदी है.

BSP (0.71 फीसदी ) और JDU (0.91 फीसदी) वो पार्टियां हैं जिन्हें NOTA से तो ज्यादा वोट मिला है लेकिन वोट शेयर के मामले में ये पार्टियां फीसदी के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई हैं. इनके अलावा कई छोटी-छोटी पार्टियां हैं जिन्होंने इस चुनाव में किस्मत आजमाई लेकिन उन सबको मिलाकर भी (0.91 फीसदी) 1 फीसदी से ज्यादा वोट नसीब नहीं हुए हैं.


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