कोरोना वायरस के संकट के बीच देश के सामने एक नई मुश्किल खड़ी हो रही है. पश्चिम बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान ने विकराल रूप ले लिया है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया है कि ये तूफान अब प्रचंड चक्रवाती तूफान (सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म) में तब्दील हो चुका है, जिससे देश के पूर्वी क्षेत्र में तटीय इलाकों में संकट बढ़ गया है.
इस चक्रवाती तूफान का नाम ‘अम्फान’ (Amphan) रखा गया है, जिसे अम-पन (Um-Pun) भी कहा जा रहा है. ये तूफान जल्द ही ओडिशा और पश्चिम बंगाल से टकराने वाला है. इससे पहले भी दुनियाभर में कई तूफान आते रहे हैं, जिनका कुछ न कुछ नाम दिया जाता है.
ऐसे में ये जानना जरूरी है कि तूफानों का नामकरण कैसे किया जाता है और इस बार के तूफान को अम्फान क्यों कहा जा रहा है.
दुनियाभर में 5 कमेटी तय करती हैं नाम
मौजूदा वक्त में तूफानों के नामकरण के लिए एक तय प्रक्रिया है. किसी भी चक्रवाती तूफान के नामकरण के लिए उस क्षेत्र की ट्रॉपिकल साइक्लोन रीजनल बॉडी जिम्मेदार होती है. इसके लिए हर साल या हर दो साल में बैठक होती है.
दुनियाभर में ऐसी पांच समितियां हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में ये काम करती हैं- ESCAP/WMO टायफून कमेटी, WMO/WSCAP पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन, RA-I ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी, RA-IV हरिकेन कमेटी और RA-V ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी.
कैसे आया ‘अम्फान’ का नाम?
विश्व मौसम संगठन (WMO) के मुताबिक, 2000 में WMO/ESCAP पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन का बीसवां सेशन ओमान की राजधानी मस्कट में हुआ था. इस सेशन में तय किया गया कि ये कमेटी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों के नाम तय करेगी. 2004 में इनका नाम रखने की प्रक्रिया तय हुई. शुरुआत में इसमें सिर्फ 8 सदस्य थे, जिसमें कुछ समय बाद 5 और सदस्य शामिल हुए.
2004 में तय किए गए नामों की सूची में अम्फान सबसे आखिरी नाम था. इसलिए 2020 के पहले तूफान का नाम अम्फान पड़ा. ये नाम थाईलैंड की ओर से सुझाया गया था.
आने वाले सालों के लिए भी तूफानों के नामकरण के लिए 169 नामों की सूची तैयार कर दी गई है, जिनमें निसर्ग पहला नाम है. इसके बाद गति, निवार, शाहीन, गुलाब, तेज और आग जैसे नाम भी हैं.
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