YouTube Sex-Determination Videos: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को उन YouTubers को नोटिस भेजा, जिन्होंने प्रसव पूर्व लिंग-निर्धारण पर वीडियो अपलोड किए थे. मंत्रालय ने उन्हें 36 घंटे के भीतर ऐसे वीडियो को हटाने का आदेश दिया है. मंत्रालय ने करीब 4 हजार ऐसे वीडियो को सूचीबद्ध किया है, जो विभिन्न गर्भावस्था रिपोर्टों को देखकर भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के तरीके के बारे में जानकारी देते हैं.


प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट, 1994 (PCPNDT Act) के तहत भारत में प्रसव पूर्व लिंग-निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और डायग्नोस्टिक केंद्रों को इसके तहत कड़ाई से विनियमित किया जाता है. यह कानून कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और भारत में गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए बनाया गया था.


'कंटेंट हटाने के लिए नोटिस भेज दिया है'


अंडर सेक्रेटरी पीवी मोहनदास ने कहा कि मंत्रालय आपत्तिजनक कंटेंट के लिए सोशल मीडिया की नियमित निगरानी करता है. उन्होंने कहा, "जब ये वीडियो हमारे संज्ञान में लाए गए, तो हमने सबसे पहले आपत्तिजनक चैनलों की पहचान की और उन्हें सूचीबद्ध किया. मंगलवार को हमने उन्हें कंटेंट हटाने के लिए नोटिस भेजा, साथ ही उन्हें सूचित किया कि यह एक दंडनीय अपराध है."


यहां करें शिकायत


मोहनदास ने कहा कि Google को भी अपनी वेबसाइट से कंटेंट हटाने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने कहा, "कोई भी व्यक्ति जो पीसीपीएनडीटी अधिनियम का उल्लंघन करने वाली कंटेंट देखता है, वह अपने राज्य में नोडल अधिकारियों या मंत्रालय को ईमेल पते pndtmohfw@gmail.com पर रिपोर्ट कर सकता है."


दरअसल, लिंग-निर्धारण के ऐसे वीडियो के बारे में सबसे पहले दिल्ली के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अनुज अग्रवाल ने ट्विटर पर लिखा था. अग्रवाल रेडियोलॉजी पर वीडियो की तलाश में यूट्यूब पर स्क्रॉल कर रहे थे और उस दौरान उन्हें ऐसा ही आपत्तिजनक वीडियो मिला. जिस चैनल पर वीडियो पोस्ट किया गया था वो गर्भावस्था, गर्भावस्था के टिप्स और प्रसव पूर्व लिंग-निर्धारण की तकनीकों पर बनाए गए वीडियो से भरा हुआ था.


'ऐसे सभी वीडियो को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए'


डॉ. अग्रवाल ने कहा, "शुरुआत में मुझे लगा कि ये अन्य देशों के YouTubers द्वारा अपलोड किए गए वीडियो हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ये भारत के थे. मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जिस वीडियो को मैंने देखा उसे 0.7 मिलियन बार देखा गया था. प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण का कानून बहुत कड़ा है और इस मुद्दे पर कड़ी निगरानी होनी चाहिए. ऐसे सभी वीडियो को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.


'मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ है कि...'


फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. हृषिकेश पई ने HT से कहा, "हमारे देश का कानून लिंग-निर्धारण सेवाओं के विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगाता है. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि यह जानकारी सोशल मीडिया पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है." पई ने बताया कि पिछले दस वर्षों में पीसीपीएनडीटी अधिनियम की वजह से ही भारत का लिंगानुपात सुधरा है. 


डॉ. हृषिकेश पई ने आगे कहा, "सभी अल्ट्रासाउंड मशीनों को पंजीकृत होना चाहिए और डॉक्टरों को किए गए प्रत्येक स्कैन का रिकॉर्ड रखने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए... रिकॉर्ड में कोई भी विसंगति एक चिकित्सा पेशेवर को गंभीर संकट में डाल सकती है. सोशल मीडिया पर भी इसी तरह की सख्ती बरतने की जरूरत है और इस तरह के वीडियो को तुरंत सार्वजनिक प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाना चाहिए."


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